✨ सनातन धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित माना जाता है। शनि देव को कर्म का न्यायाधीश कहा गया है, जो हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। जब शनि की ऊर्जा असंतुलित होती है, तब जीवन में देरी, बाधाएं, गलतफहमियां और अदृश्य विरोध बढ़ने लगते हैं। ऐसे समय में माँ बगलामुखी की उपासना शनिदेव के साथ करने से मन, जीवन और परिस्थितियों में संतुलन लौट सकता है। मान्यता है कि यह संयुक्त अनुष्ठान व्यक्ति को साहस, धैर्य और नकारात्मकता से सुरक्षा प्रदान करने की शक्ति रखता है।
🕉️ शास्त्रों में माँ बगलामुखी, 10 महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या मानी गई हैं। वे स्तंभन शक्ति की देवी हैं — यह वह दिव्य शक्ति है, जो हानि पहुँचाने वाली शक्तियों को रोक देती है, झूठ और अपमान को शांत कर देती है, और शत्रु के अहंकार व बुरी वाणी को निष्क्रिय कर देती है। शनिवार के दिन, जब शनि देव की शुद्ध करने वाली शक्ति सक्रिय होती है, तब माँ बगलामुखी की पूजा और भी प्रभावशाली मानी जाती है। यह संयोग जीवन से ईर्ष्या, अपमान, बुरी नज़र और मानसिक अशांति को दूर करता है।
🕉️ शास्त्रों में कार्तिक मास को आत्म-चिंतन और साधना का महीना माना गया है। इस महीने की अंतिम बगलामुखी पूजा को विशेष माना जाता है, क्योंकि यह जीवन में चल रहे पुराने संघर्षों का अंत कर नई शुरुआत के लिए सुरक्षा और स्थिरता प्रदान कर सकती है। उज्जैन स्थित माँ बगलामुखी मंदिर और नवग्रह शनि मंदिर इस दिव्य संयोग के प्रमुख केंद्र हैं। यहाँ किया जाने वाला तंत्र युक्त हवन अग्नि के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा को भस्म करता है, जबकि शनिदेव को तिल-तेल अभिषेक ग्रहों की अशांति को शांत और शुभता की ओर मोड़ सकता है। ये दोनों अनुष्ठान मिलकर एक दिव्य कवच (आध्यात्मिक सुरक्षा कवच) बनाते हैं, जिससे जीवन को एक नई दिशा का आशीष मिलता है। ।
🌸 श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष शनिवार अनुष्ठान में भाग लेकर आप जीवन में विजय, स्थिरता, और शांति का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।