⚔️ विजय एवं वीरता की तिथि स्कंद षष्ठी पर भगवान मुरुगन के दिव्य आशीर्वाद का आह्वान करें और जीवन की सभी चुनौतियों पर विजय प्राप्त करें 🙏
स्कंद षष्ठी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो युद्ध के देवता व शिव एवं पार्वती के पुत्र भगवान स्कंद को समर्पित है। मुरुगन, कार्तिकेयन और सुब्रमण्य जैसे विभिन्न नामों से पूजे जाने वाले कार्तिकेय भगवान को समर्पित यह तिथि प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाते हैं। भगवान मुरुगन की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और शत्रुओं का नाश होता है। राक्षस तारकासुर को हराने के लिए जन्मे कार्तिकेय, भगवान शिव द्वारा दिए गए वरदान को पूर्ण करने के कारण युद्ध के देवता के रूप में जाने जाते हैं। छह सिद्धियों का प्रतिनिधित्व करने वाले भगवान मुरुगन को विशेष रूप से तमिलनाडु में वहां के प्रमुख इष्ट देव के रूप में पूजा जाता है। किंवदंतियों के अनुसार, भगवान मुरुगन को दक्षिण दिशा का देवता भी माना जाता है क्योंकि उन्होंने देवलोक को छोड़ने के बाद दक्षिण भारत को अपना निवास स्थान चुना।
स्कंद षष्ठी मुरुगन विशेष के रूप में, भक्त स्कंद षष्ठी कवचम, सुब्रमण्य भुजंगम और वेल अर्चना जैसे विशेष अनुष्ठान करते हैं।
स्कंद षष्ठी कवचम भगवान मुरुगन की सुरक्षा व आशीर्वाद प्राप्त करने का एक शक्तिशाली स्त्रोतम है, जो बाधाओं को दूर करता है, एवं स्कन्द देवता की दिव्यता से मिलने वाली समृद्धि सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
आदि शंकराचार्य द्वारा रचित सुब्रमण्य भुजंगम में भगवान मुरुगन के गुणों और लौकिक महत्व की प्रशंसा की गई है, जो इसे पढ़ने वालों को साहस, ज्ञान और आध्यात्मिक मुक्ति प्रदान करता है।
भगवान मुरुगन के दिव्य शस्त्र वेल की एक अनुष्ठान पूजा, अर्थात वेल अर्चना, ज्ञान और साहस का प्रतीक है। देवी पार्वती द्वारा मुरुगन को राक्षस तारकासुर को हराने के लिए दिया गया एक पवित्र शस्त्र , वेल इस अनुष्ठान का केंद्र है। माना जाता है कि वेल अर्चना करने से विजय और नकारात्मकता से सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है।
स्कंद षष्ठी के शुभ दिन पर इन अनुष्ठानों का महत्व और भी बढ़ जाता है, जो जीवन की चुनौतियों से सुरक्षा और समाधान प्रदान करता है। ये पवित्र पूजा सलेम के श्री कवडी पझानी अंदावर मंदिर में आयोजित की जाएगी। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान मुरुगन का आशीर्वाद प्राप्त करें।