🌿 हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है, जो कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। कहते हैं कि इस दिन भगवान श्री विष्णु 4 महीने की योगनिद्रा (शयन) से जागते हैं। ये 4 महीने चातुर्मास कहलाते हैं — आषाढ़ शुक्ल एकादशी (देवशयनी) से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवउठनी) तक। इस एकादशी को सनातन की सबसे बड़ी एकादशी में गिना जाता है, जिस दिन किए गए अनुष्ठान अनेकों पूजाओं का फल प्रदान कर सकते हैं।
🌿 ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के जागरण के साथ ही सभी शुभ, मांगलिक और धार्मिक कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, व्रत आदि की शुरुआत हो जाती है। देवउठनी एकादशी का धार्मिक महत्व इतना है कि इसे ‘देवताओं का नववर्ष’ तक कहा गया है। इसी शुभ अवसर पर तुलसी-विवाह पूजा और मंगल दोष निवारण अनुष्ठान होने जा रहा है, जो भक्तों के वैवाहिक जीवन को मधुरता और मिठास से भरने की शक्ति रखता है।
🌿देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप और तुलसी माता का विवाह कराया जाता है, जो चातुर्मास की समाप्ति और शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन तुलसी जी को वधू के रूप में सजाया जाता है और भगवान विष्णु से मंगल गीतों और गुप्त मंत्रों के साथ उनका विवाह कराया जाता है। माना जाता है कि इस पूजा से रुके हुए विवाह के योग बनते हैं और घर में लक्ष्मी का स्थायी वास संभव है। साथ ही यह पूजा वर्षों के मांगलिक दोषों को शांत कर सकती है, जिससे रिश्तों में फैले टकराव, बिखराव, मधुरता और मिठास में बदल सकते हैं।
🌿 देवउठनी एकादशी के दिव्य काल में आराधना से ग्रह दोषों के नाश का भी विशेष योग बनता है। इस दिन मंगल दोष निवारण पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख, मानसिक संतुलन और स्थिरता का आशीर्वाद मिलता है। विद्वान मानते हैं कि भगवान विष्णु और मंगल ग्रह की संयुक्त आराधना से जीवन की रुकावटें दूर होनी शुरू हो जाती हैं।
🌟 इस बार श्री मंदिर द्वारा यह विशेष देवउठनी एकादशी तुलसी-विष्णु विवाह पूजा मथुरा के श्री दीर्घ विष्णु मंदिर में होने जा रही है, जिसमें भाग लेने का सुनहरा अवसर हाथ से न जाने दें। 🌟