🔱 शक्तिपीठ श्री देवीकूप, कुरुक्षेत्र में सावन दुर्गाष्टमी पर हो रहे त्रिशक्ति अनुष्ठान में भाग लेकर माँ काली, माँ बगलामुखी और माँ लक्ष्मी से शत्रुनाश, मानसिक स्थिरता और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें 🌺🌙
सावन का महीना केवल भगवान शिव की भक्ति का नहीं, बल्कि शिव और शक्ति दोनों की आराधना का समय माना जाता है। यह वह काल होता है जब श्रद्धा, उपवास और मंत्रों के साथ किया गया प्रत्येक जप हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मबल का संचार करता है। ऐसी मान्यता है कि सावन में की गई उपासना जीवन के कष्टों को दूर करती है और मन को भीतर से शांत करती है। इस बार सावन का यह पुण्यकाल और भी विशेष हो गया है, क्योंकि इसमें दुर्गाष्टमी का पर्व शुक्रवार को आ रहा है। दुर्गाष्टमी देवी दुर्गा के नौ रूपों की शक्ति का प्रतीक है, और शुक्रवार माँ लक्ष्मी को समर्पित दिन माना जाता है।
जब यह दोनों तिथियाँ सावन जैसे पवित्र महीने में एक साथ आती हैं, तो यह संयोग न केवल दुर्लभ होता है, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ भी माना जाता है। यह विशेष योग शक्ति, सुख और समृद्धि को जीवन में आमंत्रित करने का अनोखा अवसर प्रदान करता है। इस पावन संयोग पर श्री मंदिर की ओर से कुरुक्षेत्र स्थित माँ भद्रकाली शक्तिपीठ में एक विशेष रात्रिकालीन अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। यह अनुष्ठान देवी के रौद्र व कल्याणकारी रूपों को समर्पित है – माँ काली, माँ बगलामुखी और माँ लक्ष्मी:
🌙 माँ काली- परिवर्तन और मुक्ति की देवी, जो भय को हरकर आत्मा को जागृत करती हैं।
🔥 माँ बगलामुखी-मौन शक्ति और नियंत्रण की प्रतीक, जिनकी उपस्थिति से भीतर स्थिरता आती है।
🛡️ माँ लक्ष्मी-सौंदर्य, समृद्धि और सुरक्षा की देवी, जो साधक को स्थायी सुख और आंतरिक संतुलन प्रदान करती हैं।
यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी मानी जाती है जो लगातार जीवन में डर, असफलता या शत्रु बाधा का सामना कर रहे हैं। सावन, दुर्गाष्टमी और शुक्रवार का यह त्रि-संयोग, एक ऐसा अवसर है जब माँ की कृपा से जीवन में न केवल सुरक्षा और आत्मबल मिलता है, बल्कि भीतर से स्थिरता और शांति का अनुभव भी प्राप्त किया जा सकता है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष रात्रिकालीन पूजा का हिस्सा बनें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को एक नई दिशा दें।