🔱 सावन के आखिरी सोमवार को ओंकारेश्वर में 108 ब्राह्मणों द्वारा हो रहा है 10 लाख 8 हजार महामृत्युंजय मंत्रों का दिव्य और दुर्लभ महाअनुष्ठान 🙏
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सावन का महीना भक्ति, साधना और शिव कृपा का प्रतीक माना जाता है। इस पवित्र काल में की गई पूजा और जप, विशेष रूप से भगवान शिव को अर्पित महामृत्युंजय मंत्र, अत्यंत फलदायी माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि सावन के आखिरी सोमवार का दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम अवसर होता है। सनातन परंपरा के अनुसार, भगवान शिव केवल विनाश के देव नहीं हैं, बल्कि वे आरोग्य, जीवन संरक्षण और करुणा की साक्षात मूर्ति हैं। वे त्रिनेत्रधारी योगी हैं जो मृत्यु के भय को हर सकते हैं और जीवन को नव ऊर्जा दे सकते हैं। उन्हीं की कृपा पाने के लिए महामृत्युंजय मंत्र को सर्वोत्तम उपाय माना गया है, जो रोग, शोक और अकाल मृत्यु से रक्षा करता है।
इसी दिव्यता और परंपरा के आधार पर, श्री मंदिर द्वारा सावन के आखिरी सोमवार के पावन अवसर पर एक ऐतिहासिक महामृत्युंजय महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में होगा जो भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस अनुष्ठान में 108 आचार्य ब्राह्मण एक ही दिन में 10.08 लाख महामृत्युंजय मंत्रों का जाप करेंगे। यह महायज्ञ न केवल आरोग्य और दीर्घायु की कामना के लिए है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक सुरक्षा कवच भी निर्मित करता है जो भय, रोग और मृत्यु जैसे संकटों से रक्षा करता है।
आखिर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ही क्यों? 🔱🕉️
ऐसा माना जाता है कि नर्मदा नदी के तट पर स्थित ओंकारेश्वर एक पवित्र स्थान है जहाँ नदी स्वयं 'ॐ' के आकार में बहती है। पुराणों के अनुसार, इक्ष्वाकु वंश के राजा मान्धाता ने यहाँ घोर तपस्या की थी और अपने वंश को रोग और अकाल मृत्यु के भय से मुक्त किया था। ये आध्यात्मिक और ऐतिहासिक कारण ओंकारेश्वर को इस विशेष अनुष्ठान के लिए आदर्श स्थान बनाते हैं, ताकि मंत्रों और पवित्र स्थल की संयुक्त ऊर्जा भक्तों को अधिकतम आध्यात्मिक लाभ प्रदान कर सके।
सावन के आखिरी सोमवार को श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में शामिल हों और रोग, भय और अकाल मृत्यु से सुरक्षा के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें।