सनातन धर्म में भगवान काल भैरव को भगवान शिव का उग्र, रक्षक और न्यायकारी स्वरूप माना जाता है। वे समय के स्वामी हैं और भय तथा नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाले देवता के रूप में पूजनीय हैं। रविवार को शक्ति, सुरक्षा और आत्मबल का दिन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान काल भैरव की उपासना करने से व्यक्ति को साहस, एकाग्रता और अदृश्य नकारात्मक प्रभावों से रक्षा प्राप्त होती है। उज्जैन स्थित पवित्र श्री विक्रांत भैरव मंदिर में विद्वान तांत्रिक आचार्यों द्वारा काल भैरव तंत्र युक्त महायज्ञ और कालभैरवाष्टकम् पाठ वैदिक विधि से संपन्न किया जाएगा। इस विशेष अनुष्ठान का उद्देश्य भगवान भैरव की दिव्य शक्ति का आह्वान करना है ताकि भक्त के जीवन में सुरक्षा, स्थिरता और आत्मबल का संचार हो सके।
इस महायज्ञ में तिल, सरसों, नींबू और तेल जैसी पवित्र सामग्रियों की आहुतियाँ दी जाती हैं। शास्त्रों में ये पदार्थ नकारात्मकता, भय और छिपी बाधाओं के नाश का प्रतीक माने जाते हैं। यज्ञ के दौरान शक्तिशाली भैरव मंत्रों का उच्चारण भी किया जाएगा, जिससे वातावरण में दिव्य ऊर्जा उत्पन्न होती है और साधक में आत्मविश्वास, स्पष्टता और आंतरिक शक्ति का विकास होता है। इस अनुष्ठान का प्रमुख हिस्सा है कालभैरवाष्टकम् जोकिआदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक दिव्य स्तोत्र है। आठ श्लोकों से युक्त यह स्तुति भगवान भैरव की करुणा, पराक्रम और जगत के रक्षक स्वरूप का वर्णन करती है।
इसका पाठ या श्रवण साधक के भीतर से भय को दूर करता है, अदृश्य बाधाओं से रक्षा देता है और मन को शांति तथा केंद्रित ऊर्जा प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि कालभैरवाष्टकम् व्यक्ति के आभामंडल (Aura) को शुद्ध करता है और जीवन की चुनौतियों का सामना करने हेतु दृढ़ता और निडरता प्रदान करता है। उज्जैन जो स्वयं महाकाल की नगरी के रूप में प्रसिद्ध है, में होने वाला यह महायज्ञ दिव्य संरक्षण और आध्यात्मिक उत्थान का वातावरण निर्मित करता है। ऐसा विश्वास है कि इस पूजा में शामिल होने वाले भक्तों को अटूट साहस, नकारात्मक ऊर्जा से राहत और आध्यात्मिक संतुलन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
📿 श्री मंदिर के माध्यम से ‘श्री काल भैरव तंत्र युक्त महायज्ञ एवं कालभैरवाष्टकम्’ में सहभागी बनें और जीवन के हर क्षेत्र में सर्वोच्च साहस, सुरक्षा और दिव्य मार्गदर्शन प्राप्त करें।