चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है। इस दिन हिन्दु नववर्ष का आरम्भ होता है। गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका और पड़वा का मतलब होता है चंद्रमा का पहला दिन। इसे समृद्धि व वित्तीय उन्नति के लिए अत्यंत शुभ समय माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से बाधाएँ दूर होती है, जीवन में प्रचुरता आती है और पूरे साल सफलता प्राप्त होती है। कहते हैं आज के दिन ब्रह्मा जी ने ब्रह्माण्ड की रचना की थी इसीलिए गुड़ी को ब्रह्मध्वज भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि गुड़ी पड़वा का त्योहार विधि-विधान के साथ मनाने से घर में सुख और समृद्धि आती है। घर के आसपास की निगेटिव एनर्जी पूरी तरह से खत्म हो जाती है। इस शुभ दिन पर धन समृद्धि नव वर्ष पूजा एवं यज्ञ करने से न केवल आर्थिक समस्याओं और ऋण से मुक्ति मिलती है, बल्कि धन संचय और आर्थिक स्थिरता को भी बढ़ाती है। वहीं, गुड़ी पड़वा पर भगवान शिव की अराधना करने से सकारात्मक ग्रहों का प्रभाव मजबूत होता है और व्यक्ति के भाग्य को दिव्य समृद्धि से जोड़ने में मदद मिलती है।
ऐसी धारणा है कि इस शुभ दिन पर ज्योतिर्लिंग के सामने यह पूजा करने से इसकी आध्यात्मिक शक्ति और बढ़ती है। मान्यता है कि भगवान शिव के तेजस्वी स्वरूप, ज्योतिर्लिंग में अपार ब्रह्मांडीय ऊर्जा समाहित होती है, इसलिए गुड़ी पड़वा जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर इस पवित्र स्थल पर पूजा करने से दिव्य आशीर्वाद मिलता है, जिससे पूरे वर्ष समृद्धि, सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता बनी रहती है। कहा जाता है कि हिंदू नववर्ष पर ज्योतिर्लिंग पर पूजा करने से आने वाले महीनों के लिए सकारात्मक दिशा तय होती है, जिससे वित्तीय बाधाएँ दूर होती हैं और स्थिरता प्राप्त होती है। शिव पुराण और स्कंद पुराण जैसे शास्त्रों के अनुसार, आकाशीय संरेखण के दौरान ज्योतिर्लिंग पर पवित्र अनुष्ठान करने से अपार आध्यात्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है। कई भक्त इन पावन स्थलों पर अनाज, सोना या पवित्र जल जैसी प्रतीकात्मक वस्तुएँ चढ़ाते हैं, जो धन और सौभाग्य के आह्वान का प्रतीक है। इसलिए श्री मंदिर के माध्यम से आयोजित यह धन-समृद्धि नववर्ष पूजा और यज्ञ में भाग लें और ऋण-मुक्ति और वर्ष भर समृद्धि और प्रचुरता का आशीष पाएं।