🔱 गुप्त नवरात्रि अष्टमी पर दिव्य आराधना से पाएं नज़र दोष, बाधाओं और भय से पूर्ण सुरक्षा ✨
हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि का पर्व सिद्ध तांत्रिक अनुष्ठानों और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो व्यक्ति को शक्ति, साहस और आध्यात्मिक विकास प्रदान करती हैं। इन नौ दिनों में अष्टमी का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन मां बगलामुखी की पूजा की जाती है, जो स्तंभन शक्ति की देवी मानी जाती हैं। अष्टमी तिथि की मध्य रात्रि में इस पूजा-अनुष्ठान से आराधक को अनेकों पूजाओं का फल प्राप्त होता है।
इस तिथि पर माँ बगलामुखी के साथ भगवान बटुक भैरव की संयुक्त आराधना का विशेष महत्व है। बटुक भैरव, भगवान भैरव का ही बाल रूप हैं और अदृश्य बाधाओं के रक्षण और निवारण के देवता माने जाते हैं। माँ बगलामुखी शत्रु नाश, संकट निवारण और दैवीय सुरक्षा की अधिष्ठात्री हैं। वहीं, श्री बटुक भैरव भक्तों को भय, बाधा और अदृश्य संकटों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि मध्य रात्रि के दिव्य काल में की गई साधना, साधक को दोगुनी आत्मिक शक्ति, मानसिक संतुलन और संरक्षण प्रदान करती है।
जानें नज़र दोष के प्रभाव और बचाव हेतु शास्त्रों में वर्णित सबसे प्रभावी उपाय का रहस्य 🔮🙏👁️🗨️
नज़र दोष या बुरी नज़र एक ऐसी मान्यता है जो न केवल हिंदू धर्म, बल्कि विश्व की अनेक संस्कृतियों में भी प्रचलित है। माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति किसी की सफलता, समृद्धि या सौंदर्य को ईर्ष्यापूर्ण दृष्टि से देखता है, तो उसकी नकारात्मक ऊर्जा सामने वाले के जीवन में बाधाएँ उत्पन्न कर सकती है। इसके परिणामस्वरूप आर्थिक हानि, स्वास्थ्य समस्याएँ, पारिवारिक कलह और कार्य में रुकावट जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।
इन्हीं शक्तियों की कृपा प्राप्त करने के लिए उज्जैन और काशी के दो प्रसिद्ध मंदिरों में इन अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है, जिनमें शामिल है:
🔹नज़र दोष शांति बटुक भैरव रक्षा कवच तंत्रोक्त यज्ञ जो साधक को नकारात्मक शक्तियों से निपटने का सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
🔹बगलामुखी हवन से आराधक को नजर दोष जैसी बाधाओं के समाधान का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।
श्री मंदिर के माध्यम से आप भी गुप्त नवरात्रि अष्टमी पर होने जा रहे इस दिव्य अनुष्ठान में भाग लें और नज़र दोष और नकारात्मकता से अपनी और परिवार की सुरक्षा का आशीर्वाद लें।