🔱 श्री खाटू श्याम जी — कलियुग में भक्ति और विश्वास का आधार
श्री खाटू श्याम जी को कलियुग में महाभारत के महान योद्धा बर्बरीक के रूप में जाना जाता है, जो भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। बर्बरीक ने यह प्रतिज्ञा की थी कि वे सदैव कमजोर पक्ष का साथ देंगे और उनके पास तीन अमोघ बाण थे। जब भगवान श्रीकृष्ण ने साधु का वेश धारण कर उनसे भेंट की, तो उन्हें ज्ञात हुआ कि बर्बरीक की इस प्रतिज्ञा से युद्ध की दिशा बदल सकती है और धर्म की स्थापना कठिन हो जाएगी। अतः श्रीकृष्ण ने उनसे शीशदान माँगा, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। इस अनुपम बलिदान से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि वे कलियुग में श्याम नाम से पूजे जाएंगे और जो उन्हें सच्चे मन से याद करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होंगी। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के समय उनका शीश एक विशेष स्थान पर रखा गया था, जो कालांतर में खाटू (राजस्थान) में प्रकट हुआ। आज वहीं विशाल श्री खाटू श्याम मंदिर स्थित है, जहाँ लाखों भक्तजन श्रद्धा से दर्शन हेतु आते हैं।
🙏✨ एकादशी पर हारे के सहारे और माँ लक्ष्मी की कृपा से व्यापारिक भाग्य में लाएं बदलाव 🚩
सनातन परंपरा में एकादशी तिथि भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा के लिए अति शुभ मानी जाती है। चूँकि श्री श्याम जी को श्रीकृष्ण का ही स्वरूप माना गया है, अतः इस दिन उनका पूजन विशेष फलदायक होता है। एकादशी पर माँ लक्ष्मी, जो भगवान विष्णु की अर्धांगिनी और समृद्धि की देवी हैं, की उपासना से भी जीवन में ऐश्वर्य और उन्नति का आह्वान होता है। बाबा श्याम और माँ लक्ष्मी की संयुक्त आराधना से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सुख, शांति, आर्थिक सफलता और सकारात्मकता का संचार होता है।
खासतौर पर मारवाड़ी और गुजराती समुदाय में बाबा श्याम जी को व्यापार में सफलता, बाधाओं से मुक्ति और चमत्कारी धनवृद्धि के प्रतीक रूप में पूजा जाता है। इसी दिव्यता के अनुभव हेतु उज्जैन स्थित श्री खाटू श्याम मंदिर में उद्योग लक्ष्मी वंदना, व्यापार वृद्धि संकल्प एवं तिलक श्रृंगार सेवा का आयोजन किया जा रहा है। आप भी इस विशेष अनुष्ठान में भाग लेकर बाबा श्याम जी और माँ लक्ष्मी की कृपा से अपने जीवन में नवीन समृद्धि और सफलता का स्वागत करें।