✨जब जीवन में बाधाएँ बार-बार लौटती हैं, मन बेचैन हो जाता है और अदृश्य शक्तियाँ शांति भंग करती हैं, तब माँ बगलामुखी और माँ प्रत्यंगिरा की संयुक्त उपासना एक दिव्य कवच का काम करती है। ये दोनों देवियाँ शक्ति, साहस और सुरक्षा का प्रतीक हैं। माँ बगलामुखी, जिन्हें स्तंभिनी शक्ति कहा जाता है, शत्रुओं को मौन कर देती हैं और उनके हानिकारक इरादों को रोकती हैं, जबकि माँ प्रत्यंगिरा छिपे भय और नकारात्मक शक्तियों को नष्ट कर संतुलन और शांति लौटाती हैं।
🪔 माँ बगलामुखी – विजय और नियंत्रण की देवी
दस महाविद्याओं में से एक माँ बगलामुखी की उपासना शत्रुओं पर विजय, कानूनी मामलों में सफलता, वाणी पर नियंत्रण और नकारात्मकता दूर करने के लिए की जाती है। ऐसा माना जाता है कि उनका मूल मंत्र 1,25,000 बार जप करने से एक अटूट आध्यात्मिक कवच बनता है, जिससे शत्रुता समाप्त होती है और मन में स्पष्टता, आत्मविश्वास और शक्ति का अनुभव होता है।
💫 माँ प्रत्यंगिरा – अदृश्य शक्तियों से सुरक्षा की देवी
माँ प्रत्यंगिरा उग्र दिव्य शक्ति की प्रतिनिधि हैं, जो छिपे भय और नकारात्मक प्रभावों को दूर करती हैं। उनका कवच पाठ भक्तों को नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा देता है और आभा को मजबूत बनाता है। शुक्रवार, जो शुक्र ग्रह और देवी ऊर्जा से जुड़ा दिन है, पर उनकी पूजा करने से समृद्धि, आध्यात्मिक संतुलन और आंतरिक सुरक्षा बढ़ती है।
🍃 बगलामुखी मूल मंत्र जाप और हवन का महत्व
हरिद्वार स्थित सिद्धपीठ माँ बगलामुखी मंदिर में 1,25,000 मूल मंत्र जाप और हवन का पावन अनुष्ठान किया जाएगा। यह अग्निहोत्र स्तंभिनी शक्ति का आह्वान करता है, शत्रु के कार्यों, मानसिक तनाव और हानिकारक शक्तियों को शांत करता है। हर मंत्र अर्पित करने से दिव्य स्थिरता, साहस और अडिग सुरक्षा का अनुभव होता है।
🙏 इस शुक्रवार, श्री मंदिर के माध्यम से बगलामुखी–प्रत्यंगिरा अनुष्ठान में भाग लेकर महाविद्याओं की उग्र कृपा से जीवन में शक्ति, शांति और विजय का आह्वान करें।