चंद्रमा मन और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि केतु वैराग्य, एकांत, क्रोध और शून्यता का प्रतीक है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कुंडली में चंद्र एवं केतु एक ही घर में स्थित होते हैं, तो इससे चंद्र केतु ग्रहण दोष बनता है। यह योग व्यक्ति के जीवन पर बहुत नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिसके परिणामस्वरूप उसे अक्सर भावनात्मक अस्थिरता, चिंता, डिप्रेशन जैसी अन्य कई परेशानियों का सामना करना पडता है। ऐसे लोगों में आत्मविश्वास की कमी, भावनात्मक अस्थिरता, आर्थिक समस्याएं एवं चिंता का अनुभव होता है।
इस दोष के प्रभाव को कम करने के लिए अश्विनी नक्षत्र के दौरान सोमवार को पूजा करना अत्यंत प्रभावशाली होगा, क्योंकि अश्विनी नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है और सोमवार का दिन चंद्रमा को समर्पित है। इसलिए सोमवार एवं अश्विनी नक्षत्र के शुभ संयोग पर उज्जैन के श्री नवग्रह शनि मंदिर में केतु-चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा: 7000 केतु मूल मंत्र जाप, 10,000 चंद्र मूल मंत्र जाप एवं यज्ञ का आयोजन किया जाएगा, जहाँ भगवान शनि की पूजा भगवान शिव के रूप में की जाती है। श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें और भावनात्मक स्थिरता प्राप्त कर, चिंता व डिप्रेशन से राहत पाएं।