संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है संकट हरने वाली चतुर्थी तिथि। कहते हैं कि इस दिन गणपति जी ने देवताओं का संकट दूर किया था इसलिए इस शुभ तिथि पर गणेश जी की पूजा करने से सभी कष्टों व बाधाओं से मुक्ति के साथ ज्ञान एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। गणेश जी को प्रथम पूज्य माना जाता है, इसलिए किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा से की जाती है। वैसे तो गणेश जी की उपासना के लिए विभिन्न तरीके हैं लेकिन गणेश स्तोत्र पाठ को अत्यंत शक्तिशाली विधि माना गया है, इसे संकटनाशन गणेश स्तोत्र भी कहा जाता है। गणेश स्तोत्र पाठ नारद पुराण से लिया गया है जो कि अनेक प्रकार की समस्याओं का समाधान करता है।
कहा जाता है कि गणेश जी के इस स्तोत्र पाठ को करने से जीवन में व्याप्त सभी दुःख एवं संकट दूर हो जाते हैं, साथ ही सुख, समृद्धि एवं वैभव की प्राप्ति होती है। इसके अलावा गणेश मूल मंत्र के बारे में बताया गया है कि ये बहुत शक्तिशाली मंत्र है, जिसका पूरी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ जाप करने से चमत्कारिक परिणाम प्राप्त होते हैं और यह गणेश जी को शीघ्र प्रसन्न करने का अत्यंत प्रभावशाली साधन है। इस मूल मंत्र के जाप से भक्तों के जीवन से सभी बाधाएं आसानी से दूर हो जाती हैं और नए कार्य में अपार सफलता की प्राप्ति होती है। इसलिए संकष्टी चतुर्थी के शुभ दिन पर श्री मंदिर द्वारा उज्जैन के प्रसिद्द श्री बड़ा गणेश मंदिर में होने वाली विनायक पूजा- गणेश स्तोत्र पाठ एवं 1008 गणेश मूल मंत्र जाप और हवन में भाग लें और गणेश जी की अपार कृपा पाएं।