🔥 सनातन धर्म में साल 2025 की आखिरी एकादशी, आध्यात्मिक नज़रिए से अत्यंत दुर्लभ और पुण्यदायी मानी गई है। इसे देश के बड़े हिस्से में वैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस पावन तिथि की साधना जब नए साल की मकर संक्रांति से जुड़ती है तो पिछले पापों का प्रायश्चित और नए साल के संकल्प सिद्ध हो सकते हैं। इन दोनों तिथियों के बीच 16 दिन हैं और इस अवधि में होने जा रहे 11 विष्णु सहस्रनाम पाठ का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, विष्णु सहस्रनाम का एक पाठ पिछले 7 जन्मों के पापों का नाश कर सकता है और जब यह 11 बार विधिपूर्वक विद्वान पुरोहितों द्वारा त्रिवेणी स्थल पर आपके नाम से किया जाए, तो उसका फल कई गुना बढ़ जाता है।
🙏 साल की आखिरी एकादशी से मकर संक्रांति तक का समय आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। यह 11 ब्राह्मणों द्वारा 16 दिवसीय 11 विष्णु सहस्रनाम पाठ जीवन में बड़े बदलाव लाने की शक्ति रखता है। मान्यता है कि इस अवधि में विष्णु तत्व अत्यंत सक्रिय होता है, जिससे किए गए जाप और पाठ शीघ्र फल प्रदान कर सकते हैं। विद्वान पुरोहितों द्वारा नियमित रूप से सहस्रनाम पाठ करने से अगले-पिछले पापों का नाश, नकारात्मक ऊर्जा की शांति और मानसिक मजबूती की दिशा मिलती है। यह महासाधना जीवन में सुख-समृद्धि, पारिवारिक संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खोल सकती है। श्रद्धा और नियमपूर्वक किया गया यह अनुष्ठान भगवान विष्णु की विशेष कृपा दिलाने वाला और मोक्ष मार्ग को सुदृढ़ करने वाला माना गया है।
🔥 यह 16 दिन की आराधना प्रयागराज के त्रिवेणी संगम तीर्थ में होने जा रही है, जो अपने आप में बेहद दिव्य है। यह धाम गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के दिव्य संगम के लिए प्रसिद्ध है। हर 12 साल में महाकुंभ और सालाना माघ मेले का यहां विशेष महत्व है। श्री नारायण और पितृ अनुष्ठानों के लिए यह तीर्थ सनातन में सर्वोपरि माना गया है। साल 2025 की आखिरी एकादशी (वैकुंठ एकादशी) पर इस अनुष्ठान से भक्त पिछले पापों से मुक्ति की दिशा और नए साल में अपनी अधूरी कामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद पा सकते हैं।
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🪷 श्री मंदिर द्वारा एकादशी के लिए 11 ब्राह्मण-16 दिवसीय विष्णु सहस्रनाम जाप अनुष्ठान में भाग लें और पिछले पापों से मुक्ति और संकल्पों की पूर्ति का दिव्य आशीर्वाद पाएं।