सनातन धर्म में माता लक्ष्मी को सौभाग्य, समृद्धि और सम्पन्नता की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जहाँ माता लक्ष्मी की कृपा होती है, वहाँ जीवन में धन, शांति और स्थिरता अपने आप उपस्थित हो जाती है। विशेष रूप से शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की उपासना के लिए अत्यंत मंगलकारी माना गया है। परंपरा में यह धारणा है कि शुक्रवार को श्रद्धा और विधि से की गई माता लक्ष्मी की पूजा मन की शुद्धि, आर्थिक संतुलन और जीवन में सुख-संपन्नता की दिशा में सहायक होती है।
माना जाता है कि यदि यह पूजा शक्तिपीठ माँ महालक्ष्मी अंबाबाई मंदिर में की जाए, तो इसका प्रभाव और भी अधिक गहरा अनुभव होता है। यह पवित्र धाम 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती के दो नेत्र इसी स्थान पर गिरे थें तब से माता लक्ष्मी यहां विराजमान हैं। 7000 साल से भी अधिक पुराने इस मंदिर में विराजित माता लक्ष्मी की मूर्ति को दिव्य एवं चमत्कारी माना जाता है। इसी मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि वर्ष में तीन बार सूर्यदेव की किरणें सीधे माँ महालक्ष्मी को प्रणाम करती हैं। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि शुक्रवार के दिन इस मंदिर में की गई पूजा जीवन में धन की स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा को मजबूत करने में सहायक होती है।
वहीं धार्मिक ग्रंथों में महालक्ष्मी मंत्र को माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का शुभ मार्ग बताया गया है। शुक्रवार के दिन इस मंत्र का जाप करने से आर्थिक जीवन में संतुलन आता है और बाधाएँ कम होने लगती हैं। देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूपों में से एक स्वरूप वैभव लक्ष्मी का भी विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि वैभव लक्ष्मी की पूजा और हवन से घर में सुख-संपन्नता का वातावरण बनता है और दरिद्रता का प्रभाव कम होता है। इसी कृपा को आमंत्रित करने के लिए इस शुक्रवार शक्तिपीठ माँ महालक्ष्मी अंबाबाई मंदिर, कोल्हापुर में 11,000 महालक्ष्मी मंत्र जाप, वैभव लक्ष्मी पूजा और धन–समृद्धि हवन का आयोजन किया जा रहा है।
श्रद्धालु श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान से जुड़कर देवी लक्ष्मी के दिव्य आशीर्वाद का अनुभव कर सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मकता का स्वागत कर सकते हैं।