🪔 क्या आपको लगता है कि आपके परिवार पर कोई अदृश्य डर का साया है, जहाँ अचानक परेशानियाँ और कठिनाइयाँ सामने आती हैं?
इस नवरात्रि 3 महान शक्तिपीठों की संयुक्त शक्ति से देवी माँ की कृपा प्राप्त करें और जीवन की हर अंधकारमय बाधा को शांत करें।
कभी-कभी जीवन ऐसा लगता है मानो अदृश्य शक्तियाँ हमारे खिलाफ काम कर रही हों। अचानक होने वाले नुकसान, लगातार असफलताएँ और नकारात्मक ऊर्जा हमारी उम्मीदों को कमज़ोर कर देती हैं। शास्त्रों के अनुसार, ऐसी परेशानियाँ नज़र दोष, नकारात्मक ऊर्जा या अदृश्य बाधाओं के कारण हो सकती हैं, जो हमारी खुशियों का रास्ता रोक देती हैं। लेकिन नवरात्रि के दौरान, माँ दुर्गा की दिव्य ऊर्जा अपने चरम पर होती है। सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन विशेष रूप से शक्तिशाली माने जाते हैं, क्योंकि इन दिनों देवी पूर्ण रूप से जागृत होकर अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। यही समय है उनके अटूट संरक्षण को प्राप्त करने का।
हमारे पवित्र ग्रंथ बताते हैं कि शक्तिपीठों की उत्पत्ति माँ सती के दिव्य शरीर से हुई थी। जब भगवान शिव, माँ सती के वियोग में तांडव करने लगे, तब ब्रह्मांड की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को विभाजित किया। जहाँ-जहाँ उनके अंग गिरे, वहाँ शक्तिपीठ बने। माना जाता है कि तारापीठ में उनकी आँख की पुतली गिरी, कालीघाट में उनके दाहिने पैर का अंगूठा और माँ ललिता के मंदिर में उनकी उँगली। मान्यता है कि इन धामों में अनुष्ठान करने से माँ की दिव्य शक्ति और रक्षा का आशीर्वाद जल्द प्राप्त होता है।
🪔 यह विशेष तीन-दिवसीय अनुष्ठान आपको इसी दिव्य ऊर्जा से जोड़ते हैं:
🌸 सप्तमी पर, माँ तारापीठ शक्तिपीठ में प्रार्थना की जाएगी, जहाँ माँ तारा से प्रार्थना की जाएगी कि वे छिपे शत्रुओं और अदृश्य बाधाओं को दूर करें।
🌸 अष्टमी पर, माँ कालिका की पूजा प्रसिद्ध कालीघाट शक्तिपीठ में होगी, जिससे भय, अंधकार और दुर्भाग्य दूर हों।
🌸 नवमी के दिन, माँ ललिता की आराधना की जाएगी, जिससे सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिले। इसके बाद 108 कन्या भोज होगा, जो माँ को प्रसन्न करने का सर्वोच्च रूप माना जाता है और इस अनुष्ठान के पुण्य को कई गुना बढ़ा देता है।
यह पावन महापूजन, श्रीमंदिर के माध्यम से, तीन महान शक्तिपीठों की दिव्य सुरक्षा को आपके जीवन तक लाने की शक्ति रखता है।