तमिल पंचाग के प्रत्येक महीने का अपना अलग आध्यात्मिक महत्व है, जिसमें से एक पुरत्तासी का माह भी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी माह में भगवान विष्णु ने श्री वेंकटेश्वर (भगवान तिरुपति) के रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया था, तब से पुरत्तासी महीना भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है। भगवान वेंकटेश्वर को धन का सर्वोच्च देवता और कलियुग का रक्षक माना जाता है। भगवान वेंकटेश्वर की पूजा के लिए कई दिव्य अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें से एक है श्री वेंकटेश्वर हवन। मान्यता है कि इस पवित्र मास में श्री वेंकटेश्वर हवन करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है और धन-संपत्ति की प्राप्ती होती है।
शास्त्रों में श्री वेंकटेश्वर हवन के साथ कृष्ण अलंकार रथ यात्रा को भी अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि भगवान कृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं। इस अनुष्ठान में भगवान कृष्ण की मूर्ति का विशेष रूप से सजाया जाता है और सजाने के बाद भगवान कृष्ण की मूर्ति को पूरे गांव में दर्शन के लिए यात्रा के रूप में निकाला जाता है। इस यात्रा में भगवान कृष्ण जी की मूर्ति को गरुड़ वाहन नामक रथ पर रखा जाता है, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार गरुड़ पक्षी भगवान विष्ण की सवारी है। मान्यता है कि पवित्र पुरत्तासी मास के शनिवार के दिन श्री वेंकटेश्वर हवन और कृष्ण अलंकार रथ यात्रा करने से दोगुना फल प्राप्त होता है। इसलिए इस पवित्र मास में दक्षिण भारत के तिरुनेलवेली में एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में श्री वेंकटेश्वर हवन और कृष्ण अलंकार रथ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। भगवान वेंकटेश्वर द्वारा कर्ज मुक्ति एवं धन-संपत्ति की प्राप्ति के आशीर्वाद के लिए श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें।