होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम और उनकी रासलीला की अमर गाथा का प्रतीक है। यह प्रेम का उत्सव है, जहाँ सभी भेदभाव मिट जाते हैं और प्रेम की शक्ति सर्वत्र व्याप्त हो जाती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने माता यशोदा से पूछा कि राधा का रंग गोरा क्यों है, जबकि उनका रंग सांवला है? इस पर माता यशोदा ने उन्हें राधा को रंग लगाने का सुझाव दिया, जिससे वे दोनों एक ही रंग में रंग जाएं। यही क्षण होली के पर्व का शुभारंभ बना, यह एक ऐसा दिन, जहाँ प्रेम, आनंद और सौहार्द के रंग हर किसी को एक कर देते हैं। मथुरा, वृंदावन और बरसाना में आज भी यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार मथुरा में होली के अवसर पर "राधा-कृष्ण पंचामृत अभिषेक, मंत्र जाप, श्री सूक्तम पाठ एवं गुलाल अर्पण" विशेष पूजन का आयोजन किया जा रहा है। इस पावन अनुष्ठान के माध्यम से भक्त अपने रिश्तों में प्रेम, आकर्षण और सौहार्द को बढ़ा सकते हैं। मान्यता है कि पंचामृत अभिषेक के माध्यम से भगवान कृष्ण और राधा का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे रिश्तों की कटुता दूर होती है और अटूट प्रेम बनता है।
वहीं, श्री सूक्तम पाठ इस पूजा का एक अभिन्न अंग है, जो माँ लक्ष्मी की कृपा से संबंधों में सुख, समृद्धि और प्रेम की वृद्धि करता है। गुलाल अर्पण केवल रंग चढ़ाने की परंपरा नहीं, बल्कि समर्पण, अहंकार के त्याग और रिश्तों में मौजूद गलतफहमियों को समाप्त करने का प्रतीक है। जब हम भगवान को गुलाल अर्पित करते हैं, तो हम अपने अहंकार, क्रोध, और ईर्ष्या को त्यागकर प्रेम और समर्पण का संकल्प लेते हैं। इस महापूजन के अंतर्गत राधा-कृष्ण पंचामृत अभिषेक, मंत्र जाप एवं गुलाल अर्पण जैसे अनुष्ठान विशेष रूप से शामिल किए गए हैं, जो प्रेम और संबंधों की ऊर्जा को शुद्ध कर आपसी समझ, समर्पण और विश्वास को बढ़ाते हैं। यह पूजा न केवल वैवाहिक जीवन में प्रेम और स्थिरता लाती है, बल्कि प्रेम संबंधों में भी आपसी सौहार्द को मजबूत करती है। यदि आप अपने रिश्ते में बढ़ती दूरियों, मनमुटाव या नकारात्मक ऊर्जा से परेशान हैं, तो यह अनुष्ठान आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। इस होली, राधा-कृष्ण के प्रेम के रंग में रंगकर श्री मंदिर के माध्यम से मथुरा में होने वाले इस दिव्य अनुष्ठान में भाग लें और अपने जीवन में दिव्य प्रेम, समर्पण और माधुर्य का आह्वान करें।