सनातन धर्म में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस तिथि पर सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। वैदिक ज्योतिष की इसी गणितीय गणना के आधार पर कुंभ मेले का भी आयोजन किया जाता है। यह तिथि भगवान सूर्यदेव को समर्पित है। शास्त्रों में मकर संक्रांति के दिन सूर्य की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में नई ऊर्जा शक्ति, तेजस्विता और आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए श्री मंदिर द्वारा राजस्थान में स्थित श्री गलता जी सूर्य मंदिर में महाकुंभ मकर संक्रांति विशेष 51,000 सूर्य गायत्री मंत्र जाप और आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ का आयोजन कराया जा रहा है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार, सम्पूर्ण जगत जब अंधकार में डूबा था, तब ब्रह्मा जी के मुख से निकले प्रथम शब्द ‘ॐ’ के तेज से ही सूर्य की उत्पत्ति हुई थी।
मान्यता है कि सूर्यदेव की उपासना करके भक्त किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। सूर्य गायत्री मंत्र, सूर्य देव को समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र है। कहा जाता है कि इस मंत्र के जाप के माध्यम से सूर्य देव जैसा तेज उत्पन्न होता है। वहीं आदित्य स्तोत्र पाठ का वर्णन वाल्मीकि रामायण में मिलता है, जहां ऋषि अगस्त्य ने भगवान राम को रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए इसका वर्णन किया था। मान्यता है कि मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर 51,000 सूर्य गायत्री मंत्र जाप और आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ करने से राजनीति एवं सरकारी नौकरियों में सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आप भी मंकर संक्रांति के शुभ अवसर पर होने वाली इस पूजा में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें और सूर्यदेव का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।