मंगल के इस विशेष साल में एकादश मुखी हनुमान की पूजा कर बदलें अपना भाग्य ✨🙏
ज्योतिष के अनुसार, 2025 मंगल का साल है क्योंकि इसके अंकों का योग 9 है, जो इस उग्र ग्रह द्वारा शासित संख्या है। मंगल ऊर्जा, परिवर्तन और साहस का प्रतीक है, जो इसे वैदिक ज्योतिष में जीवन शक्ति और दृढ़ संकल्प मजबूत स्रोत माना जाता है। वहीं, मंगलवार के स्वामी मंगल ग्रह हैं, जोकि भगवान हनुमान से जुड़े हुए हैं। इसीलिए ऐसा माना जाता है कि मंगलवार को भगवान हनुमान के एकादश मुख वाले स्वरूप की पूजा करने से जीवन में सफलता, प्रसिद्धि और सम्मान की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में भी वर्णित है कि एकादश मुखी हनुमान भगवान हनुमान का एक दुर्लभ और दिव्य स्वरूप है, जिसमें उनके ग्यारह मुख विभिन्न शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस दिव्य स्वरुप में उनका मुख्य मुख (वानर रूप) शक्ति, भक्ति और निष्ठा का प्रतीक है, जबकि नरसिंह मुख उग्र सुरक्षा और साहस का प्रतिनिधित्व करता है। गरुड़ मुख गति और बाधाओं को पार करने की क्षमता प्रदान करता है, वराह मुख स्थिरता और संकटों से मुक्ति का प्रतीक है, और हयग्रीव मुख ज्ञान व विवेक का प्रतिनिधित्व करता है। राम मुख करुणा और धर्म का प्रतीक है, शिव मुख बुराई के विनाश का, सूर्य मुख ऊर्जा और प्रबोधन का, तथा यम मुख न्याय और मृत्यु के भय पर विजय का प्रतीक है। चंद्र मुख मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है, जबकि भैरव मुख निडरता और चुनौतियों पर विजय का प्रतीक है।
आखिर क्यों जरूरी है एकादश मुखी हनुमान कवच के साथ मंगल-राहु शांति हवन? 🔥🙏
ऐसा माना जाता है कि एकादश मुखी हनुमान की उपासना से जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियाँ दूर हो जाती हैं और व्यक्ति को कर्म के बोझ एवं मानसिक भ्रम से मुक्ति मिलती है। यदि इस पूजा के साथ मंगल-राहु शांति हवन किया जाए, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगल और राहु ऐसे ग्रह हैं जो व्यक्ति के जीवन में भ्रम, दुर्भाग्य और असफलता जैसी बाधाएँ उत्पन्न कर सकते हैं। इस कारण, कई बार व्यक्ति अपनी प्रतिभा के बावजूद सफलता प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करता है। इस ग्रह योग से प्रभावित व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान पाने में संघर्ष करना पड़ता है, मित्र बनाने में कठिनाई होती है, और अंततः वह अकेलेपन व मानसिक तनाव का शिकार हो सकता है। ऐसे में एकादश मुखी हनुमान कवच पूजा और मंगल-राहु शांति हवन को इन नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति दिलाने वाला एक शक्तिशाली उपाय माना जाता है। इसका कारण यह है कि मंगल ग्रह के स्वामी भगवान हनुमान माने जाते हैं, जबकि एकादश मुखों में से एक मुख भगवान शिव का होता है, जो राहु के अधिपति माने गए हैं। इस प्रकार, इस विशेष अनुष्ठान से न केवल हनुमान जी का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि मंगल और राहु के अशुभ प्रभाव भी शांत हो जाते हैं। इसलिए, इस पवित्र पूजा में भाग लें और भगवान हनुमान की कृपा से नकारात्मक ऊर्जाओं, मानसिक भ्रम और कर्म के बोझ से सुरक्षा प्राप्त करें।