हिंदु धर्म में सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव की अराधना करना अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने व उनसे अपने पापों का क्षमा मांगने के लिए कई तरह के अनुष्ठान करते हैं जिसमें शिव महिम्न स्तोत्र पाठ और बिल्व अष्टकम भी शामिल है। दरअसल, भगवान शिव संहार के देवता हैं, लेकिन वे उतने ही दयालु और क्षमाशील भी हैं। जब कोई भक्त अज्ञानता में आकर पाप कर बैठता है, तो केवल भगवान शिव ही ऐसे हैं जो उसे क्षमा करके नया जीवन प्रदान कर सकते हैं।
जानें, शिव महिम्न स्तोत्र पाठ और बिल्व अष्टकम का महत्व?
🔹शिव महिम्न स्तोत्र पाठ
शिव महिम्न स्तोत्र भगवान शिव की असीम महिमा का गान है। यह स्तोत्र राजा पुष्पदंत द्वारा लिखा गया था, जिन्होंने भगवान शिव का अनजाने में अपराध किया था और इस स्तोत्र के माध्यम से क्षमा याचना की। भगवान शिव इतने दयालु हैं कि जब कोई भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ उनके चरणों में समर्पित होकर क्षमा माँगता है, तो वे उसे न केवल पापों से मुक्त कर देते हैं, बल्कि उसे नया जीवन प्रदान करते हैं। इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति को अपने बुरे कर्मों से छुटकारा मिलता है और मन की शुद्धि होती है।
🔹बिल्व अष्टकम
वहीं, बिल्व अष्टकम की रचना जगद्गुरु श्री आदि शंकराचार्य ने की थी। यह एक शक्तिशाली मंत्र है। मान्यता है कि बिल्व अष्टकम पाठ कर जब शिवलिंग पर बिल्व पत्र अर्पित किए जाते हैं, तो यह व्यक्ति के पापों का नाश करता है। शिवपुराण में कहा गया है कि एक बिल्व पत्र हजार कमल के बराबर होता है। व स्कंद पुराण के अनुसार, जो कोई भी श्रद्धा पूर्वक शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाता है, वह जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाता है। शिव जी को बेलपत्र या बिल्व पत्र बहुत प्रिय है। यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाता है, तो भगवान उसे जो भी चाहिए वह देते हैं।
यदि आप भी अपने पापों से मुक्त होना चाहते हैं और क्षमा मांगना चाहते हैं तो सोमवार के दिन शिव महिम्न स्तोत्र पाठ और बिल्व अष्टकम का अनुष्ठान करना अत्यंत फलदायी हो सकता है। वहीं अगर मोक्ष नगरी कही जाने वाली काशी जहाँ स्वयं महादेव "महाकाल" रूप में विराजमान हैं, वहाँ यह पूजा कराई जाए तो यह शीघ्र फलदायी होगी। इसलिए श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और अनजाने में किए गए पापों के लिए क्षमा पाएं।