ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह का अपना विशेष महत्व है। इन 9 ग्रहों में से एक ग्रह है राहु। पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय स्वरभानु नामक एक दानव ने धोखे से दिव्य अमृत की कुछ बूंदें पी ली थीं। सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और मोहिनी अवतार लिए हुए भगवान विष्णु को बता दिया। इससे पहले कि अमृत उसके गले से नीचे उतरता, विष्णु जी ने उसका गला सुदर्शन चक्र से काट कर अलग कर दिया। परंतु तब तक उसका सिर अमर हो चुका था। यही सिर राहु और धड़ केतु ग्रह बना। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु को छाया ग्रह माना जाता है और राहु के नकारात्मक प्रभाव से मानसिक अस्थिरता, भय एवं चिंता जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। कुंडली के विशिष्ट भावों में इनकी स्थिति या विशिष्ट ग्रहों पर उनकी दृष्टि जातक को अपने जीवन के बारे में भ्रमित और अनिश्चित महसूस करा सकती है। मान्यताओं के अनुसार राहु के प्रकोप से बचने के लिए शिव जी की पूजा की जाती है, क्योंकि राहु भगवान शिव के भक्त है।
ज्योतिष विद्या के अनुसार कुंडली में मौजूद राहु दोष जीवन में घटने वाली कई अशुभ घटनाओं का कारण बन सकता है। ऐसे में राहु के प्रकोप से बचने के लिए भगवान शिव के मंदिर में राहु ग्रह शांति पूजा:18,000 राहु मूल मंत्र जाप एवं हवन करना लाभदायक हो सकता है। वहीं अगर यह विशेष पूजा शतभिषा नक्षत्र में की जाए तो यह और ज्यादा फलदायी हो सकती है क्योंकि शतभिषा नक्षत्र का स्वामी राहु है। इसलिए इस शुभ नक्षत्र में हरिद्वार के पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में राहु का नक्षत्र विशेष राहु ग्रह शांति पूजा:18,000 राहु मूल मंत्र जाप एवं हवन का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और मानसिक स्थिरता और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।