ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह का अपना विशेष महत्व है, इन 9 ग्रहों में से एक ग्रह है राहु। पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय स्वरभानु नामक एक दानव ने धोखे से दिव्य अमृत की कुछ बूंदें पी ली थीं। इस दौरान सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और मोहिनी अवतार लिए हुए भगवान विष्णु को बता दिया। इससे पहले कि अमृत उसके गले से नीचे उतरता, विष्णु जी ने उसका गला सुदर्शन चक्र से काट कर अलग कर दिया। परंतु तब तक उसका सिर अमर हो चुका था। यही सिर राहु और धड़ केतु ग्रह बना। ज्योतिष शास्त्र में अनुसार, राहु को छाया ग्रह माना जाता है और राहु के नकारात्मक प्रभाव से मानसिक अस्थिरता, भय एवं चिंता जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। कहा जाता है कि कुंडली में मौजूद राहु दोष जीवन में कई अशुभ घटनाओं का कारण बन सकता है।
माना जाता है कि राहु के प्रकोप से बचने के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि राहु भगवान शिव के भक्त है। यही कारण है कि राहु के प्रकोप से बचने के लिए शिव मंदिर में राहु ग्रह शांति 18,000 राहु मूल मंत्र जाप और शिव रुद्राभिषेक करना अत्यधिक लाभकारी हो सकता है। वहीं अगर यह विशेष पूजा स्वाति नक्षत्र में की जाए तो यह और अधिक फलदायी हो सकती है क्योंकि 27 नक्षत्रों में से स्वाति नक्षत्र को 15वां नक्षत्र माना जाता है। यह नक्षत्र राहु द्वारा शासित है। इसलिए हरिद्वार के पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में स्वाति नक्षत्र के दौरान राहु ग्रह शांति 18,000 राहु मूल मंत्र जाप और शिव रुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और मानसिक स्थिरता और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा का आशीष प्राप्त करें।