शिवांश प्रत्यंगिरा-भैरव के संयुक्त पूजा से पाएं नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से मुक्ति ✨
यह विशेष अनुष्ठान भगवान शिव के दो प्रचंड और रक्षक रूपों माँ प्रत्यंगिरा और अष्ट भैरव का संगम है, जो जीवन से समस्त नकारात्मकता, शत्रु बाधा और तामसिक ऊर्जा को समाप्त करता है। शास्त्रों के अनुसार, माँ प्रत्यंगिरा भगवान शिव के तीसरे नेत्र से प्रकट हुई हैं, जो उनकी अपार शक्ति और उग्रता का प्रतीक हैं। वहीं, भगवान भैरव स्वयं शिव के नख से उत्पन्न हुए हैं, जिन्हें ब्रह्मांड के रक्षक और संहारक के रूप में जाना जाता है। जब भी संसार में अराजकता, तामसिक शक्तियों का प्रभाव या राक्षसी प्रवृत्तियों का प्रकोप बढ़ा, तब इन दोनों महाशक्तियों का प्राकट्य हुआ। देवी प्रत्यंगिरा को नकारात्मक शक्तियों, तामसिक ऊर्जा और दुष्ट प्रभावों के नाश के लिए जानी जाती हैं। पुराणों में उनका स्वरूप अर्ध-सिंह और अर्ध-मानव रूप में वर्णित है, जो उनकी अपार शक्ति और विकरालता का प्रतीक है।
शिवपुराण के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्प जैसे दैत्य का संहार करने के लिए नरसिंह अवतार लिया, तब वे अपने आपे से बाहर हो गए थे। उन्हें शांत करने के लिए भगवान शिव ने शरभ अवतार लिया, लेकिन परिस्थितियां और खराब हो गईं और भगवान विष्णु का गुस्सा दोगुना हो गया। इसके बाद, उन्होंने गंडभेरुंड अवतार लिया और वह शिव के शरभ अवतार से युद्ध करने लगे। इस भीषण युद्ध ने सारे संसार को भय में डुबो दिया। पूरा ब्रह्मांड इस विनाशकारी संघर्ष को रोकने में असमर्थ था तभी स्वयं आदि शक्ति ने देवी प्रत्यंगिरा के रूप में अवतार लिया। उनकी प्रचंड गर्जना से शरभ और गंडभेरुंड अवतार शांत हो गए और अपने मूल स्वरूप में लौट आए। इस प्रकार, देवी प्रत्यंगिरा ने महाविनाश को रोककर संपूर्ण सृष्टि की रक्षा की। वहीं देवी प्रत्यांगिरा के साथ अष्ट भैरव की पूजा करने से उनका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। भगवान भैरव के आठ रूप अष्ट भैरव ब्रह्मांड के रक्षक हैं और व्यक्ति के जीवन से बाधाओं, शत्रुओं और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने में मदद करते हैं। भगवान भैरव को सुरक्षा और न्याय का देवता माना जाता है, जबकि माँ प्रत्यंगिरा को उनके शक्तिशाली समकक्ष के रूप में पूजा जाता है। चूँकि दोनों को बुरी शक्तियों को नष्ट करने के लिए जाना जाता है, इसलिए कहा जाता है कि उनका संयुक्त अनुष्ठान व्यक्ति को नकारात्मकता से मुक्त करता है और दैवीय शक्ति प्रदान करता है। इसी कारण उज्जैन के माँ बगलामुखी मंदिर में माँ प्रत्यंगिरा कवच पूजा, तंत्रोक्त यज्ञ और अष्ट भैरव रक्षा अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पवित्र अनुष्ठान में भाग ले सकते हैं।