मां तारा और भगवान शिव का संयुक्त आशीर्वाद पाने का यह शुभ अवसर न गंवाएं। 🔱✨
महातारा जयंती के विशेष अनुष्ठान में भाग लें और नकारात्मकता व हर संकट पर विजयश्री का आशीर्वाद पाएं। 🔱✨
इस वर्ष 06 अप्रैल 2025, रविवार को महातारा जयंती का पावन पर्व मनाया जा रहा है, जो मां तारा की उपासना के लिए अत्यंत शुभ अवसर है। देवी तारा दस महाविद्याओं में से एक हैं, जिन्हें संकटों से तारने (उद्धार करने) वाली, शत्रु बाधा नाशिनी और मोक्ष प्रदायिनी देवी के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि इस दिन की गई विशेष पूजा से जीवन की बाधाएं समाप्त होती हैं, शत्रुओं का नाश होता है, और साधक को आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्राप्त होता है। मां की कृपा से भक्त के जीवन से कड़वाहट और हर प्रकार की नकारात्मकता समाप्त हो जाती है।
जानें मां तारा की उत्पत्ति की गाथा: जब उन्होंने स्वयं महाकाल के प्राण बचाए थे 🔱🔥
मां तारा के प्रकट होने की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है, जब हलाहल विष निकलने पर भगवान शिव ने उसे पीकर संपूर्ण सृष्टि को बचाया। परंतु यह विष इतना घातक था कि स्वयं महाकाल भी इसके प्रभाव से पीड़ित हो गए। उसी समय मां तारा प्रकट हुईं और करुणामयी माता के रूप में शिव को अपनी गोद में लेकर, उन्हें स्तनपान कराया। उनके दिव्य अमृत से हलाहल विष का प्रभाव समाप्त हो गया और शिव पुनः स्वस्थ हो गए। इस घटना से मां तारा के ममतामयी और संकट निवारण स्वरूप का प्रमाण मिलता है। यह मान्यता है कि जिस प्रकार मां तारा ने भगवान शिव को विष के प्रभाव से मुक्त किया, उसी प्रकार वे अपने भक्तों के भी समस्त संकटों का नाश कर, जीवन में विजयश्री प्रदान करती हैं। यह दिन केवल मां तारा की कृपा प्राप्ति के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि भगवान शिव के आशीर्वाद के लिए भी अत्यंत फलदायी है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन शिव और शक्ति की संयुक्त आराधना से भक्त को जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है।
इसलिए मां तारा को समर्पित शक्तिपीठ तारापीठ मंदिर में महातारा जयंती के शुभ अवसर पर मां तारा तारिणी पूजा एवं नीलकंठेश्वर शिव रुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस शक्तिपीठ में माता सती की आंख की पुतली गिरी थी। दरअसल बंगाली भाषा में आंख की पुतली को ‘तारा’ कहा जाता है, और इसी कारण इस स्थान का नाम तारापीठ पड़ा। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पवित्र अनुष्ठान से जुड़ें और शिव-शक्ति की संयुक्त कृपा प्राप्त करें।