इस रामनवमी पर जाने कैसे हुआ था भगवान राम का जन्म ?
राम नवमी भगवान श्रीराम के अवतरण का पावन पर्व है, जिसे बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन अयोध्या में इसका विशेष महत्व है, क्योंकि यही वह पवित्र धरा है जहाँ स्वयं भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के यहां राम के रूप में जन्म लिया था। इसलिए इस दिन अयोध्या में विशेष रूप से पूजन-अर्चन किया जाता है। दरअसल, वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में वर्णित है कि, जब राजा दशरथ संतान प्राप्ति की कामना कर रहे थे, तब गुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ को पुत्र कामेष्टि हवन करने की सलाह दी थी। उनके मार्गदर्शन का पालन करते हुए राजा दशरथ ने हवन किया, जिससे उनकी रानियों को पुत्र की प्राप्ति हुई। इस यज्ञ ने राजा दशरथ को भगवान राम जैसे पुत्र का पिता बनने का दिव्य सौभाग्य प्रदान किया।
संतान के लिए क्यों अत्यंत फलदायी है पुत्र कामेष्टि हवन?
हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को समर्पित पुत्र कामेष्टि हवन एक महत्वपूर्ण और पवित्र अनुष्ठान माना जाता है। यह हवन न केवल संतान प्राप्ति, बल्कि संतान की समृद्धि, सुख-शांति और उन्नति के लिए भी किया जाता है। इसलिए अयोध्या में राम जन्मोत्सव के विशेष अवसर पर पुत्र कामेष्टि हवन करने से भगवान श्रीराम की दिव्य कृपा प्राप्त होती है, जिससे संतान सुखी, स्वस्थ और बुद्धिमान होता है। जिस प्रकार दशरथ को इस हवन से सर्वश्रेष्ठ पुत्र के रूप में श्रीराम की प्राप्ति हुई, ठीक उसी प्रकार इस हवन से संतान की सफलता, अच्छे संस्कार और उनके अंदर दिव्य गुणों का विकास भी होता है। इस हवन में विशेष रूप से अग्नि देवता व भगवान विष्णु के मंत्रों के प्रभाव से आध्यात्मिक ऊर्जा जागृत होती है, जिससे संतान पर आने वाले सभी विघ्न दूर होते हैं। यह हवन बच्चों को बुरी शक्तियों, नकारात्मक ऊर्जा और अनिष्ट प्रभावों से बचाने में सहायक होता है। इसलिए श्री मंदिर के माध्यम से इस राम नवमी पर अयोध्या में किए जाने वाले इस पवित्र अनुष्ठान में शामिल होकर भगवान राम की विशेष कृपा के साथ अपने संतान के जीवन में सुख-समृद्धि का आशीष पाएं।