सनातन धर्म में हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी पर्व मनाया जाता है। यह तिथि भगवान भैरव को समर्पित है। इस बार कालाष्टमी तिथि रविवार के दिन पड़ रही है और माना जाता है कि रविवार के दिन बाबा भैरव की पूजा करने से वह शीघ्र प्रसन्न होते हैं। ऐसे में इस कालाष्टमी का महत्व और भी बढ़ जाता है। बाबा भैरव भगवान शिव का रुद्र रूप हैं, जिन्हें काल का स्वामी भी कहा जाता है। माना जाता है कि बाबा भैरव समय, नकारात्मकता और भय को नियंत्रित करते हैं। उनकी कृपा से साधक को न केवल सुरक्षा मिलता है, बल्कि साहस, आत्मविश्वास और मानसिक शांति का वरदान भी मिलता है। जिस प्रकार बाबा भैरव नकारात्मकत और भय को समाप्त करते हैं, उसी प्रकार आदिशक्ति का एक शक्तिशाली रूप देवी प्रत्यांगिरा भी बुरी शक्तियों का विनाश करने और अपने भक्तों की सुरक्षा करने वाली देवी है। इसी कारणवश बाबा भैरव और देवी प्रत्यांगिरा की पूजा एकसाथ फलदायी मानी जाती है। इसलिए श्री मंदिर द्वारा कालाष्टमी और रविवार के शुभ संयोग पर उज्जैन के श्री बगलामुखी मंदिर में 1,25,000 प्रत्यांगिरा मूल मंत्र जाप और भैरव अष्टकम का आयोजन किया जा रहा है।
शास्त्रों में देवी प्रत्यांगिरा और बाबा भैरव को प्रसन्न करने तथा उनका दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रत्यांगिरा मूल मंत्र जाप और भैरव अष्टकम को लाभकारी बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि देवी प्रत्यांगिरा की दिव्य ऊर्जा का आह्वान करने से भक्तों के आसपास सुरक्षा कवच बनता है जो उनके रास्ते में आने वाले किसी भी नुकसान या खतरे को दूर कर सकता है। वहीं भैरवनाथ को आपत्तियों का विनाश करने वाला देवता कहा गया है। इनकी अराधना से भक्तों के आंतरिक एवं बाह्य स्तर पर मौजूद नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त होती है। इस पूजा में प्रत्यांगिरा देवी की उग्र शक्ति और भैरव भगवान की दिव्य कृपा का संगम होता है। यह न केवल भौतिक और आध्यात्मिक संकटों से बचाता है, बल्कि साधक के जीवन को सफल, सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाता है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और देवी प्रत्यांगिरा और बाबा भैरव द्वारा नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी शक्तियों से सर्वोच्च सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करें।