धनतेरस का पर्व सनातन धर्म में धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह त्यौहार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की तेरस को मनाया जाता है। धनतेरस को धन त्रयोदशी भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। वहीं विभिन्न प्रांतो एवं शास्त्रों में दिए गए मंतव्य के अनुसार, इसी दिन मंथन के दौरान समुद्र से धन की देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। यही कारण है कि इस दिन देवी लक्ष्मी के पूजन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, जो धन, ऐश्वर्य, और सुख-समृद्धि की देवी हैं। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी, जो धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी हैं उनके पूजन करने से भक्तों को कभी धन धान्य की कमी नहीं होती। शास्त्रों के अनुसार, धनतेरस में लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है और लगभग 2 घण्टे 24 मिनट तक रहता है। इस साल यह शुभ मुहूर्त 06:06 शाम से 08:37 रात तक रहेगा। धर्म शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है, 'प्रदोषे पूज्येत लक्ष्मीं'। धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह अत्यंत शुभ अवसर है, इस दिन भक्त कई अनुष्ठान करते हैं जिसमें धन लक्ष्मी सहस्रनाम अर्चन और लक्ष्मी नारायण पूजा भी है।
धन लक्ष्मी सहस्रनाम अर्चन में माता लक्ष्मी के 1000 नामों का पाठ और उनकी आराधना की जाती है। प्रत्येक नाम मां लक्ष्मी के विभिन्न स्वरूपों और गुणों का वर्णन करता है, जिससे उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त किए जा सकते हैं। इससे परिवार में धन, वैभव और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है, साथ ही कर्ज और आर्थिक समस्याओं से राहत मिलती है। वहीं इस शुभ दिन पर लक्ष्मी नारायण पूजा करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इसलिए धन लक्ष्मी सहस्रनाम के साथ लक्ष्मी नारायण पूजा का भी आयोजन किया जा रहा है, जिससे जीवन में धन, समृद्धि और शांति का संचार होता है। मान्यता है कि धनतेरस पर माता लक्ष्मी के साथ उनके पति भगवान विष्णु, जो सृष्टि के पालनकर्ता हैं और मां लक्ष्मी की संयुक्त अराधना करने से जीवन में संतुलन और समृद्धि बनी रहती है। लक्ष्मी नारायण पूजा करने से परिवार में खुशहाली, एकता और सुख-शांति की स्थापना होती है। साथ ही, यह पूजा न केवल भौतिक धन बल्कि आध्यात्मिक समृद्धि का भी प्रतीक मानी जाती है। धनतेरस के दिन प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त पर तिरुनेलवेली में स्थित एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में यह विशेष अनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है, जहां भक्त देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की संयुक्त पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इस पूजा में भाग लेने से भक्तों को न केवल धन और वैभव का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि उनके जीवन में खुशहाली भी आती है।