इस अक्षय तृतीया पर अपने घर में देवी लक्ष्मी का स्वागत करें और अपने जीवन में चिरस्थायी समृद्धि को आमंत्रित करें। 🙏🌺
🛕 व्यापार वृद्धि और नए उद्यमों के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु तिरुपति बालाजी क्षेत्र और शक्तिपीठ में विशेष अनुष्ठान में भाग लें। 🌿
अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू पंचांग के सबसे पवित्र दिनों में से एक मानी जाती है। 'अक्षय' का अर्थ है “अविनाशी” या “हमेशा रहने वाला”, यानी इस दिन जो भी कार्य प्रारंभ किया जाए या जो भी वस्तु खरीदी जाए, चाहे वह सोना हो, आभूषण हो, संपत्ति हो, वाहन हो या नया घर, वह निरंतर वृद्धि करती है और उसका महत्व कभी कम नहीं होता। मान्यता है कि पांडवों के वनवास के समय भगवान श्रीकृष्ण उनसे मिलने आए थे। द्रौपदी स्वयं को तैयार न पाकर लज्जित होकर उनके चरणों में गिर पड़ीं। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उसके भोजन पात्र से एक जड़ी-बूटी की लता निकाली और उसे अक्षय पात्र का वरदान दिया, एक ऐसा दिव्य पात्र जिसमें भोजन कभी समाप्त नहीं होता, जो अनंत समृद्धि का प्रतीक है।
इस शुभ दिन पर भक्तगण मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया पर देवी को अर्पित किया गया प्रसाद और प्रार्थनाएँ कई गुना बढ़ जाती हैं, और यह अनंत धन, शांति और आध्यात्मिक उन्नति को आमंत्रित करता है। इस शुभ पर, श्री मंदिर द्वारा व्यापार वृद्धि लक्ष्मी पूजा, माँ शक्तिपीठ महालक्ष्मी अंबाबाई मंदिर में कनकधारा स्तोत्र पाठ और तिरुपति तीर्थ क्षेत्र में तिरुपति अष्ट लक्ष्मी यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। ये दोनों पवित्र स्थल मां लक्ष्मी की उपासना से गहराई से जुड़े हैं और धन-संपत्ति से संबंधित मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रसिद्ध हैं।
ऐसा माना जाता है कि मां लक्ष्मी उन सभी भक्तों पर कृपा करती हैं जो श्रद्धापूर्वक उनकी पूजा करते हैं, परंतु वे भगवान विष्णु की उपस्थिति में स्थायी रूप से निवास करना पसंद करती हैं। भगवान वेंकटेश्वर (भगवान विष्णु के रूप) का निवास तिरुपति में स्थित है, जो उनके स्थायी आशीर्वाद की प्राप्ति का महान आध्यात्मिक केंद्र माना जाता है। मान्यता है कि ये पूजाएँ व्यापार में वृद्धि, आर्थिक स्थिरता और करियर व व्यवसाय की बाधाओं को दूर करने में सहायक होती हैं। आदि शंकराचार्य द्वारा रचित कनकधारा स्तोत्र को अचानक धन लाभ और देवी कृपा प्राप्ति का स्रोत माना गया है, जबकि अष्ट लक्ष्मी यज्ञ लक्ष्मी जी के आठ रूपों को समर्पित होता है, जो समृद्धि, साहस, सफलता, संतान सुख और ज्ञान जैसे विविध रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और देवी लक्ष्मी की दिव्य कृपा प्राप्त करें, जो आपके जीवन में स्थायी सफलता और सौभाग्य के द्वार खोलती है।