कहीं आपकी कुंडली में भी ग्रह दोषों की उल्टी दशा तो नहीं चल रही है? 🔮✨
रविवार का दिन विशेष रूप से बाबा भैरव की उपासना के लिए उत्तम माना जाता है, क्योंकि वे नवग्रहों के शासक और काल के अधिपति हैं। जब राहु, केतु, शनि और मंगल के अशुभ प्रभाव जीवन में बाधाएं उत्पन्न करते हैं, तब मार्तंड भैरव की कृपा से इन दोषों को शांत किया जा सकता है। मार्तंड भैरव भगवान भैरव का एक दिव्य स्वरूप हैं, जो सूर्य देव की ऊर्जा और तेज से जुड़े हुए हैं। "मार्तंड" शब्द स्वयं सूर्य के तेजस्वी रूप का प्रतीक है, जो जीवन शक्ति और दिव्य प्रकाश का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं, भगवान भैरव, शिव के उग्र और रक्षक रूप माने जाते हैं, जो न केवल दुष्ट शक्तियों का विनाश करते हैं, बल्कि भक्तों को आध्यात्मिक बल और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा भी प्रदान करते हैं। जब ये दोनों शक्तियाँ सूर्य की ऊर्जा और भैरव की शक्ति एक साथ आती हैं, तो यह पूजा जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और ग्रहों के कुप्रभावों को दूर करने का सबसे प्रभावी माध्यम बन जाती है। इसलिए, जिन लोगों की कुंडली में नवग्रह दोष, कालसर्प दोष, पित्र दोष, या शनि की साढ़ेसाती एवं राहु-केतु की अशुभ दशा चल रही हो, उनके लिए यह अनुष्ठान अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा।
इसी कारण रविवार के शुभ दिन उज्जैन स्थित श्री विक्रांत भैरव मंदिर में मार्तंड भैरव पूजन, आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ और नवग्रह शांति यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। यह विशेष अनुष्ठान नवग्रहों को शांत करने के लिए किया जाता है, जिससे ग्रहों की बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सफलता, समृद्धि एवं उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। आदित्य हृदय स्तोत्र भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो न केवल नवग्रहों को संतुलित करता है, बल्कि मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को भी बढ़ाता है। वहीं, नवग्रह शांति यज्ञ के माध्यम से सभी नौ ग्रहों की कृपा प्राप्त होती है, जिससे भाग्य उदय होता है और जीवन में आ रही परेशानियां समाप्त होती हैं। यदि आप भी ग्रह दोषों के कारण संघर्षों से गुजर रहे हैं और इन नकारात्मक प्रभावों को समाप्त कर अपने जीवन को सफलता और शांति की ओर ले जाना चाहते हैं, तो श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य अनुष्ठान में भाग लें और मार्तंड भैरव के आशीर्वाद से अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएं।