वैदिक पंचांग के अनुसार गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष से शुरू होती है। इस पर्व के दौरान दस महाविद्याओं और अन्य देवियों की गुप्त रूप से पूजा की जाती है, इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। दस महाविद्याओं को देवी दुर्गा का रूप माना जाता है, जो सभी सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। इनमें से माँ बगलामुखी की पूजा शत्रुओं के नाश के लिए की जानी जाती है। उनकी पूजा से बड़ी बाधाएं और शत्रुओं से होने वाले खतरे टल सकते हैं। तंत्र मार्ग से मां बगलामुखी की विशेष पूजा करने से शत्रुओं पर विजय, नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा और कोर्ट-कचहरी के मामलों में जीत मिलती है। वहीं, देवी प्रत्यंगिरा आदिशक्ति का शक्तिशाली रूप हैं। प्रत्यंगिरा देवी विनाशकारी व तांत्रिक शक्तियों के हमलों को रोकने और भक्तों को इससे होने वाले दुष्प्रभावों से बचाने के लिए जानी जाती हैं। वे जादू-टोना, काला जादू और अधर्म में लिप्त किसी भी व्यक्ति को दंडित करने वाली देवी मानी जाती हैं।
बगलामुखी-प्रत्यंगिरा कवच पाठ शक्तिशाली छंदों एवं मंत्रों की श्रृंखला है जो देवी बगलामुखी व प्रत्यंगिरा के आशीर्वाद एवं सुरक्षा का आह्वान करने के लिए किया जाता है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, इस कवच पाठ से देवी बगलामुखी और देवी प्रत्यंगिरा की दिव्य ऊर्जाओं को समाहित कर उपासक को अपार शक्ति, साहस और दुष्ट शक्तियों से सुरक्षा प्रदान की जाती है। इस कवच का पाठ करने से तंत्र हमले, काले जादू और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है। इस कवच के साथ 1,25,000 बगलामुखी मूल मंत्र जाप और हवन करना अत्यंत लाभकारी होता है। गुप्त नवरात्रि के छठे दिन उज्जैन के मां बगलामुखी मंदिर में इस पूजा का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के द्वारा इसमें भाग लें और मां प्रत्यंगिरा एवं मां बगलामुखी से आशीर्वाद प्राप्त करें।