वैदिक पंचांग के अनुसार गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष से शुरू होती है। इस पर्व के दौरान दस महाविद्याओं और अन्य देवियों की गुप्त रूप से पूजा की जाती है, इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। दस महाविद्याओं को देवी दुर्गा का रूप माना जाता है, जो सभी सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। इनमें से मां बगलामुखी आठवीं महाविद्या हैं। माँ बगलामुखी की पूजा शत्रुओं के नाश एवं सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए की जानी जाती है। उनकी पूजा से बड़ी बाधाएं और शत्रुओं से होने वाले खतरे टल सकते हैं। तंत्र मार्ग से मां बगलामुखी की विशेष पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति, शत्रुओं पर विजय और कोर्ट-कचहरी के मामलों में जीत मिलती है।
देवी बगलामुखी को 36 अंक बहुत प्रिय है इसलिए उनका मूल मंत्र भी 36 अक्षरों से मिलकर बना है, जो कि शत्रुओं को परास्त करने एवं खतरों से सुरक्षा का सबसे बड़ा अस्त्र है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के शुभ दिन पर 36,000 बार मूल मंत्र का जाप करने से भक्तों के सभी मनोकामनाओं की पूर्ति, शत्रुओं पर विजय, जानलेवा बीमारियों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इस दिन बगलामुखी हवन करने से कोर्ट कचहरी मामलों में विजय एवं दुर्घटना से सुरक्षा प्राप्त होता है। इसलिए गुप्त नवरात्रि पर 36,000 मां बगलामुखी मूल मंत्र जाप और हवन का आयोजन किया जाएगा। शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने, दुर्घटनाओं से सुरक्षा और सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें।