आषाढ़ माह में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी को अमोघ फलदायिनी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। विवाह संबंधी समस्याओं को सुलझाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा अत्यंत लाभकारी मानी गई है और इनके आशीर्वाद से व्यक्ति को मनचाहा जीवनसाथी भी मिलता है। मान्यता है कि ब्रज की गोपियों ने भी भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए मां दुर्गा के कात्यायनी रूप की पूजा की थी। 51 शक्तिपीठों में से एक मां कात्यायनी शक्तिपीठ भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में स्थित है। यह मंदिर प्राचीन सिद्धपीठों में से एक के रूप में भी जाना जाता है और कभी-कभी इसे उमा शक्तिपीठ भी कहा जाता है।
पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि मां सती के बाल यहीं गिरे थे, जिससे यह अत्यंत महत्वपूर्ण और प्राचीन सिद्धपीठ बन गया है। इस मंदिर में मां कात्यायनी की पूजा करने से रिश्तों में खुशियां आती हैं और क्लेश से मुक्ति का आशीष मिलता है। इसके अलावा गुप्त नवरात्रि में इस शक्तिपीठ में भगवान शिव के साथ मां कात्यायनी की पूजा करने से सुख एवं समृद्ध वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। मां कात्यायनी की पूजा के लिए गुरुवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इसलिए गुप्त नवरात्रि षष्ठी और गुरुवार के शुभ संयोग पर शक्तिपीठ मां कात्यायनी मंदिर में मां कात्यायनी अष्टकम स्तोत्र पाठ, भोग आरती और भूतेश्वर पंचाक्षरी मंत्र जाप का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और मां कात्यायनी से आशीर्वाद प्राप्त करें।