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निर्जला एकादशी विशेष

काशी पितृ दोष शांति महापूजा एवं हरिद्वार गंगा अभिषेक

पितृ शांति एवं पारिवारिक क्लेश से मुक्ति के लिए
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पिशाच मोचन कुंड एवं गंगा घाट, काशी, हरिद्वार
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पितृ शांति एवं पारिवारिक क्लेश से मुक्ति के लिए निर्जला एकादशी विशेष काशी पितृ दोष शांति महापूजा एवं हरिद्वार गंगा अभिषेक

हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी आती है, जिसका महत्व सभी एकादशी में श्रेष्ठ मानी गई है, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की उपासना से उन्हें जल्द प्रसन्न किया जा सकता है। मान्यता कि इस दिन निर्जल रहकर व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है एवं मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत के समय में पांडु के पुत्र भीमसेन ने महर्षि वेद व्यास से पूछा- हे महर्षि! ‘मेरे कुटुंब के सभी सदस्य एकादशी का व्रत करते हैं। मैं भी इस व्रत का पालन करना चाहता हूं, किंतु मुझसे भूख सहन नहीं होती, कृपया मुझे कोई उपाय सुझाए’। इस पर महर्षि वेद व्यास ने कहा ‘हे भीम! तुम्हें ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली निर्जला एकादशी का व्रत करना चाहिए, इस व्रत में अन्न और जल का त्याग करना होता है।

इस एक व्रत को करने से ही तुम्हें वर्ष भर की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होगा और सभी पापों से मुक्ति मिलेगी। इस प्रकार भीम ने इस व्रत का पालन कर सभी पापों से मुक्ति पाई और अपने पितृ शांति का आशीष पाया। तभी से सभी पापों से मुक्ति एवं पूर्वजों की शांति के लिए ये दिन अत्यंत शुभ माना जाने लगा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए निर्जला एकादशी का दिन अत्यंत प्रभावकारी है। इस दिन पितृ दोष शांति महापूजा के साथ गंगा अभिषेक से पितृ शांति एवं पारिवारिक क्लेश से मुक्ति का आशीष मिलता है।

पिशाच मोचन कुंड एवं गंगा घाट, काशी, हरिद्वार

पिशाच मोचन कुंड एवं गंगा घाट, काशी, हरिद्वार
मोक्ष की नगरी काशी में पितृ को शांति मिलती है। माना जाता है कि जो इंसान यहां अंतिम सांस लेता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है, यही कारण है कि कई लोग अपने अंतिम समय में काशी में आकर बस जाते हैं। काशी में स्थित पिशाच मोचन कुंड है, जिसे लेकर मान्यता है कि यहां पितृ दोष निवारण पूजा करने से पित्रुओं की अधुरी इच्छाओं की तृप्ति के साथ मुक्ति मिल जाती है। गरुड़ पुराण में लिखा है कि पिशाच मोचन कुंड पर पितृ के निमित्त श्राद्ध करने का अधिक महत्व है। यहां पितृ दोष निवारण पूजा करने से पित्रुओं का सभी उधार चुकाया जाता है और सभी बाधाओं से मुक्त होकर पितृ मोक्ष प्राप्त करते हैं। वहीं पूरे विश्व में हरिद्वार, एक तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है, इसे कुंभ नगरी के नाम से भी जाना जाता है। महाकुंभ के दौरान हजारों लाखों की संख्या में देश-विदेश से लोग गंगा में डुबकी लगाने आते हैं। वहीं, हरिद्वार में कुछ प्राचीन घाट भी हैं जिनकी मान्यता प्राचीन ग्रंथों में भी लिखी हुई है। श्री गंगा घाट पर गंगा आरती करने से पितृ दोष का निवारण होता है। इससे पितरों को शांति मिलती है और कुंडली से पितृ दोष की समस्त नकारात्मकताएं भी दूर हो जाती हैं।

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