हिंदु धर्म में श्रावण माह का विशेष महत्व है, यह माह भगवान शिव का प्रिय माह है। शास्त्रों में नवग्रहों की शांति के लिए भगवान शिव की पूजा को कारगार बताया गया है। ऐसे में भगवान शिव के प्रिय श्रावण मास में ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से राहत पाने के लिए महादेव की पूजा का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। वहीं माना जाता है कि राहु भगवान शिव के भक्त हैं, इसलिए जो भी भक्त भगवान शिव की पूजा करता है उस पर राहु के अशुभ प्रभावों का असर कम होता है। जबकि, गुरु ग्रह पर बृहस्पति देव का शासन होता है, जिन्हें भगवान शिव द्वारा देवताओं के गुरु की उपाधि प्राप्त हुई थी। ज्योतिष विद्या के अनुसार गुरु बृहस्पति और राहु के एकसाथ होने पर चांडाल दोष का निर्माण होता है। माना जाता है कि कुंडली में राहु की दशा 18 साल और बृहस्पति की 16 साल तक रह सकती है।
इस योग से ग्रस्त जातक की कुंडली में मौजूद शुभ योग भी नष्ट हो जाते है, जिसके कारण जीवन में तनाव और परेशानियों का सिलसिला शुरू हो जाता है जैसे स्वास्थ्य समस्याएं, करियर, वैवाहिक जीवन में तनाव आदि। माना जाता है कि राहु एवं गुरू के शुभ प्रभाव से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है और हर कार्य में अपार सफलता मिलती है। भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होती है। ज्योतिषियों की मानें तो इस दोष से जुड़ी नकारात्मकता को कम करने के लिए गुरु चांडाल दोष निवारण पूजा बहुत लाभकारी है। यह पूजा गुरूवार करना शुभ हो सकता है क्योंकि यह गुरू यानी बृहस्पति का दिन है। यही कारण है कि भोलेनाथ को समर्पित श्रावण माह में गुरूवार के शुभ दिन पर गुरु चांडाल दोष निवारण पूजा: 18,000 राहु मूल मंत्र जाप और 16,000 बृहस्पति मूल मंत्र जाप और हवन का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और इस दोष के अशुभ प्रभाव को कम करने का आशीर्वाद प्राप्त करें।