🕉️भस्म होली पर कराएं 21 विद्वान ब्राहम्णों द्वारा ये विशेष शिव पूजा🔱
फाल्गुन पूर्णिमा, जिसे वसंत पूर्णिमा भी कहा जाता है। यह सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं बल्कि आध्यात्मिक शुद्धिकरण और नकारात्मकता के अंत का समय है। इस दिन भस्म होली खेली जाती है, जिसमें रंगों की जगह पवित्र भस्म का प्रयोग होता है। यह भस्म शिव की भक्ति से अहंकार, इच्छाओं और बुरी आदतों को जलाने का प्रतीक है। यही कारण है कि इस शुभ दिन पर भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भस्म होली के साथ शिव रुद्राभिषेक और 11,000 शिव तांडव स्तोत्र जाप करते हैं, जिससे सभी बाधाएँ दूर होती हैं, मन मजबूत होता है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन किए जाने वाले अत्यंत शुभ होते हैं, जो हमें पूर्व जन्म के कर्मों के बंधनों, मानसिक संघर्षों और जीवन की बाधाओं से मुक्त कर शक्ति, स्थिरता और स्पष्टता प्रदान करते हैं। भस्म होली को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार देवी पार्वती शिव जी से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन तपस्या में लीन शिव ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया। लेकिन पार्वती की कोशिशो को देखकर प्रेम के देवता कामदेव प्रसन्न हुए और शिव जी की तपस्या भंग करने के लिए उन्होंने शिव पर पुष्प बाण चला दिया, जिसके कारण शिव की तपस्या भंग हो गई। जिसकी वजह से शिव नाराज हो गए और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और उनके क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए, जो इच्छाओं के प्रतीक हैं।
इस घटना के बाद, शिव भक्तों ने भस्म को अपने शरीर पर धारण करना और भस्म होली मनाना शुरू किया, जो सांसारिक मोह से मुक्ति और आत्मज्ञान का प्रतीक है। मान्यता है कि इस पावन तिथि पर भस्म होली खेलने, रुद्राभिषेक करने और शिव तांडव स्तोत्र का जाप करने से जीवन में नकारात्मकता, भ्रम, भय और मानसिक बोझ समाप्त होते हैं। रुद्राभिषेक भगवान शिव के रुद्र स्वरूप को प्रसन्न कर सभी बाधाओं और ग्रह दोषों को शांत करता है, जिससे मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। वहीं, शिव तांडव स्तोत्र का जाप आत्मविश्वास, एकाग्रता और दृढ़ इच्छाशक्ति को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति जीवन के हर कठिनाई का सामना कर सकता है। इसलिए इस वसंत पूर्णिमा पर श्री मंदिर के माध्यम से 21 ब्राहम्णों द्वारा इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और भगवान शिव की कृपा से नकारात्मकता को जलाकर जीवन में शक्ति, स्थिरता और सफलता प्राप्त करें।