वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह को नौ प्रमुख ग्रहों में से एक और ग्रहों का सेनापति माना गया है। मंगल साहस, पराक्रम, शक्ति और ऊर्जा का कारक होता है। मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल शुभ स्थिति में हो, तो वह साहसी, निडर और कुशल नेतृत्व क्षमता से संपन्न होता है। इसके विपरीत, कुंडली में मंगल की अशुभ स्थिति व्यक्ति के स्वभाव में अत्यधिक आक्रामकता ला सकती है, जिससे उसके जीवन में बार-बार संघर्ष और शत्रुता की स्थितियां उत्पन्न होती हैं। ज्योतिष के अनुसार, मंगल कुंडली के विभिन्न भावों में स्थित होकर अलग-अलग प्रभाव डालता है। ज्योतिषियों की मानें तो, सातवें भाव में मंगल की स्थिति विवाह में बाधा या जीवनसाथी के साथ तनाव का कारण बन सकती है। वहीं, पहले भाव में मंगल की उपस्थिति व्यक्ति को अक्रामक और अहंकारी बना सकती है, क्योंकि कुंडली का पहला भाव व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है। यही कारण है कि मंगल की अशुभ स्थिति व्यक्ति के जीवन में कई शत्रुओं का निर्माण भी कर सकती है, जो जीवन में कई प्रकार की बाधाएँ उत्पन्न कर सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों से बचने और राहत पाने के लिए भगवान हनुमान की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि हनुमान जी को मंगल ग्रह का स्वामी माना जाता है। मान्यता है कि मंगल ग्रह शांति मंत्र जाप एवं शत्रुंजय हनुमत स्तोत्रम् हवन करने से मंगल के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। शत्रुंजय हनुमत स्तोत्रम् एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसके पाठ से साधक के समस्त शत्रु, विरोधी, आलोचक और व्याधियों का नाश हो जाता है। मान्यता है कि रावण से युद्ध से पहले भगवान श्रीराम ने भी इस स्तोत्र का पाठ किया था। वहीं अगर यह अनुष्ठान मंगलवार को किया जाए, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है, क्योंकि मंगलवार का दिन मंगल ग्रह और हनुमान जी दोनों की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसीलिए उज्जैन में स्थित मंगलनाथ महादेव मंदिर में मंगलवार को 7000 मंगल ग्रह शांति मंत्र जाप एवं शत्रुंजय हनुमत स्तोत्रम् हवन का आयोजन किया जा रहा है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और क्रोध, आक्रामकता पर नियंत्रण पाने तथा जीवन के विवादों का समाधान प्राप्त करने का आशीर्वाद प्राप्त करें।