सनातन धर्म में माघ का महीना अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है, खासकर ऐसे समय में जब कुंभ मेले जैसे धार्मिक आयोजन होते हैं। इस महीने को पापों से मुक्ति और आत्मा की शुद्धि के लिए सर्वोत्तम समय माना गया है। इस दौरान किए गए उपाय, पूजा-पाठ और प्रार्थनाएं विशेष लाभकारी मानी जाती हैं, क्योंकि इस पावन महीने की ऊर्जा उन्हें अधिक प्रभावशाली बना देती है। यह महीना अक्सर पुष्य नक्षत्र के साथ जुड़ा होता है, जिसे सभी नक्षत्रों में सबसे शुभ माना जाता है। शनि ग्रह (शनि देव) के अधिपत्य वाला पुष्य नक्षत्र विशेष रूप से उन ग्रह दोषों को दूर करने के लिए लाभकारी है जो राहु, केतु और शनि के कारण उत्पन्न होते हैं। पुष्य नक्षत्र के दौरान किए गए धार्मिक कार्य और अनुष्ठान मानसिक स्पष्टता, निर्णय-क्षमता में सुधार और भावनात्मक संतुलन को बढ़ावा देते हैं। माघ मास का यह विशेष समय भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में संतुलन स्थापित करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है।
राहु-केतु पीड़ा शांति पूजा और शनि तिल तेल अभिषेक का महत्व
माघ प्रारंभ और पुष्य नक्षत्र के इस पावन संयोग के दौरान, राहु-केतु पीड़ा शांति पूजा और शनि तिल तेल अभिषेक करना एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। इन अनुष्ठानों के माध्यम से राहु, केतु और शनि ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है।
राहु और केतु: ये छाया ग्रह अक्सर व्यक्ति के जीवन में भ्रम, असमंजस और निजी व पेशेवर जीवन में बाधाएं उत्पन्न करते हैं।
शनि देव : ज्योतिष में शनि को कर्मों का न्यायाधीश कहा जाता है। शनि व्यक्ति की सहनशक्ति, ध्यान और कर्मों को परखने के लिए चुनौतियां, विलंब और कठिनाइयाँ लाते हैं, ताकि उन्हें और परिष्कृत किया जा सके।
शनि तिल तेल अभिषेक एक पवित्र अनुष्ठान है जिसमें भगवान शनि को तिल का तेल चढ़ाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि:
पीड़ा को दूर करें और कर्मजनित बाधाओं का निवारण करें।
शनि के प्रभाव से उत्पन्न देरी और कठिनाइयों को कम करें।
जीवन में स्थिरता, एकाग्रता और आध्यात्मिक उन्नति को बढ़ावा दें।
श्री नवग्रह शनि मंदिर, उज्जैन में इस पूजा को करना विशेष महत्व रखता है। उज्जैन चार कुंभ स्थलों में से एक है और इसकी दिव्य ऊर्जा व आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहां किए गए अनुष्ठानों का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है, जिससे भक्तों को गहरा राहत और सकारात्मक परिवर्तन प्राप्त होता है। माघ प्रारंभ के इस पावन अवसर पर पुष्य नक्षत्र के संयोग में बुधवार के दिन, जो कि केतु को समर्पित है, राहु-केतु पीड़ा शांति पूजा और शनि तिल तेल अभिषेक करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लेकर भक्त मानसिक स्पष्टता, बेहतर निर्णय क्षमता और ग्रह दोषों से मुक्ति के लिए दिव्य आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।