🔱 महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती पूजन से वैवाहिक सुख, प्रेम और समृद्धि का पाएं दिव्य आशीर्वाद✨
सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आस्था और श्रद्धा से जुड़ा यह महापर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों में इसे केवल भगवान शिव और माता शक्ति के दिव्य मिलन का प्रतीक ही नहीं, बल्कि भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग स्वरूप में प्रकट होने का पावन दिवस भी माना गया है, जिसकी पूजा सबसे पहले ब्रह्मा और विष्णु जी ने की थी। यह दिन शिव भक्तों के लिए अत्यंत प्रिय होता है। यही कारण है कि इस अवसर पर भक्त अपने आराध्य भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। इनमें शिव-पार्वती विवाह महात्म्य कथा एवं अर्धनारीश्वर पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हिंदू धर्म में दिव्य मिलन का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए शिव-पार्वती विवाह महात्म्य कथा का वाचन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह कथा शिव और पार्वती के अटूट संबंध प्रेम, समर्पण और त्याग का प्रतीक है। वहीं अर्धनारीश्वर भगवान शिव और पार्वती के एकीकृत रूप हैं, इस रूप में भगवान शिव का आधा भाग पुरुष और आधा भाग स्त्री का होता है, जो शिव और शक्ति के अटूट संबंध को दर्शाता है। मान्यता है कि अर्धनारीश्वर पूजन करने से दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है।
शास्त्रों में भी यह उल्लेखित है कि यदि किसी जातक के वैवाहिक जीवन में कलह या किसी अविवाहित जातक के विवाह में विलंब या अन्य किसी तरह की बाधा आ रही है तो उस जातक को भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित अर्धनारीश्वर पूजा करनी चाहिए, इससे खुशहाल वैवाहिक जीवन के साथ रिश्तों में विवादों से राहत का आशीष मिलता है। इसलिए महाशिवरात्रि के शुभ दिन पर त्रियुगीनारायण मंदिर में शिव-पार्वती विवाह महात्म्य कथा एवं अर्धनारीश्वर पूजन का आयोजन किया जा रहा है। धर्मग्रंथों में इस मंदिर के संदर्भ में यह वर्णन मिलता है कि जब माता पार्वती ने कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था, तब इसी मंदिर में उनके विवाह के रीति-रिवाज संपन्न हुए थे। कहा जाता है कि उनके विवाह के समय जलाई गई अग्नि आज भी इस मंदिर में जलती रहती है, जो दिव्य पवित्रता और शक्ति का प्रतीक मानी जाती है। इसके अलावा, शिव-पार्वती विवाह स्थल के रूप में प्रसिद्ध त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में यह भी माना जाता है कि यहां के वातावरण में अद्भुत शक्ति का संचार होता है, जो भक्तों को शांति, समृद्धि और वैवाहिक जीवन में सफलता प्रदान करता है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर इस पवित्र मंदिर में आयोजित विशेष अनुष्ठान में भाग लें और शिव-शक्ति का संयुक्त आशीर्वाद प्राप्त करके अपने रिश्तों में खुशहाली और विवादों से मुक्ति पाने का सौभाग्य प्राप्त करें।