👉काशी के इस मंदिर में संतान लक्ष्मी पूजा क्यों मानी जाती है इतनी शुभ?✨
सनातन धर्म के अनुसार, देवी लक्ष्मी जीवन में उत्साह, साहस, समृद्धि और सुख प्रदान करने वाली हैं। उन्हें धन, ऐश्वर्य, संपत्ति, यश और कीर्ति की देवी माना जाता है। इसके अलावा मां लक्ष्मी विभिन्न रूपों में अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। इसलिए शुक्रवार के दिन काशी के संतान लक्ष्मी मंदिर में संतान दोष निवारण संतान लक्ष्मी पूजन, श्री सूक्तम पाठ और श्री यंत्र कुमकुम अर्चना का आयोजन किया जाएगा। यह वही मंदिर है जहां देवी पार्वती ने अपने बच्चों भगवान गणेश और कार्तिकेय के लिए पूजा की थी। इसलिए, बच्चों की खुशहाली और समृद्धि की पूजा के लिए इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है।
पुराणों में मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों का वर्णन किया गया है, जिन्हें अष्ट लक्ष्मी के नाम से जाना जाता है। इन आठ रूपों में से एक है संतान लक्ष्मी। संतान लक्ष्मी को स्कंदमाता के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें स्कंद कुमार को गोद में लिए बैठे हुए दर्शाया गया है। वह प्रेम और मातृत्व का प्रतीक हैं। काशी खंड, देवी पुराण और स्कंद पुराण में देवी के इस रूप का भव्य वर्णन मिलता है। ऐसा माना जाता है कि संतान लक्ष्मी भक्तों की उसी तरह रक्षा करती हैं, जैसे एक मां अपने बच्चों की करती है। इस रूप में, वह अपने बच्चों की प्यार से देखभाल करती हैं और परिवार और संतान का प्रतीक हैं। ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी संतान लक्ष्मी की पूजा करता है, उसे एक गुणी बच्चे का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए, श्री मंदिर के माध्यम से संतान दोष निवारण संतान लक्ष्मी पूजा, श्री सूक्तम पाठ और श्री यंत्र कुमकुम अर्चना में भाग लेने से आपके बच्चों को समृद्धि और कल्याण का आशीर्वाद मिलेगा।