🌑 29 मार्च की शनि अमावस्या – नकारात्मकता से मुक्ति और दैवीय कृपा व सुरक्षा का सबसे शक्तिशाली दिन क्यों? 🛡️
अमावस्या वह दिन माना जाता है जब नकारात्मक ऊर्जा अपने चरम पर होती है, और सुरक्षा एवं शक्ति के लिए उग्र देवताओं की पूजा की जाती है। जब अमावस्या शनिवार को पड़ती है, तो इसे शनि अमावस्या कहा जाता है। इस वर्ष, 29 मार्च को अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है, और यह 2025 की सबसे महत्वपूर्ण शनि अमावस्या मानी जा रही है। इसी कारण माँ बगलामुखी और माँ प्रत्यंगिरा जैसे उग्र देवताओं की पूजा इस दिन विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि वे नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव को समाप्त करने और साधकों को दिव्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध हैं। चूंकि यह दिन भगवान शनि को समर्पित होता है, इसलिए शनि अमावस्या पर की गई कोई भी पूजा भक्तों को उनकी दिव्य कृपा प्राप्त करने में सहायक होती है। कर्मफलदाता के रूप में प्रसिद्ध भगवान शनि व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उसे फल प्रदान करते हैं। अतः इस शुभ दिन पर पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होकर भक्त न केवल नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि भगवान शनि की कृपा भी पा सकते हैं, जिससे उनके जीवन में सकारात्मकता और शुभता का संचार होता है।
दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या माँ बगलामुखी हैं, जिनकी पूजा विशेष रूप से शत्रुओं का नाश करने और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए की जाती है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि अमावस्या के दिन माँ बगलामुखी के लिए किए गए विशेष अनुष्ठान से शत्रुओं पर विजय, नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा और कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त होती है। इसी प्रकार, देवी प्रत्यंगिरा आदि शक्ति का एक अत्यंत शक्तिशाली रूप मानी जाती हैं, जो विनाशकारी शक्तियों के प्रभाव को समाप्त करने और भक्तों को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने के लिए जानी जाती हैं। माँ प्रत्यंगिरा बुरी शक्तियों का नाश करती हैं और अपने भक्तों की संपूर्ण रूप से रक्षा करती हैं। इसी कारण, साल की इस सबसे बड़ी शनि अमावस्या पर पवित्र नगरी उज्जैन में बगलामुखी-प्रत्यंगिरा कवच पाठ का आयोजन किया जाएगा। यह भव्य अनुष्ठान में 21 अनुभवी ब्राह्मणों द्वारा करवाया जाएगा, जिससे साधकों को दिव्य सुरक्षा और शत्रुओं पर विजय का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
बगलामुखी-प्रत्यंगिरा कवच पाठ शक्तिशाली छंदों और मंत्रों की एक पवित्र श्रृंखला है, जिसका आह्वान माँ बगलामुखी और माँ प्रत्यंगिरा की कृपा एवं सुरक्षा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, इस कवच का पाठ करने से भक्तों को देवी बगलामुखी और देवी प्रत्यंगिरा की दिव्य ऊर्जाओं से प्रेरणा प्राप्त होती है, जिससे उन्हें शत्रुओं पर विजय, अदम्य शक्ति, साहस और पूर्ण सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है। इसके अतिरिक्त, यदि माँ बगलामुखी के मूल मंत्र का 1,00,000 बार जाप किया जाए, तो यह मंत्र अत्यंत सशक्त हो जाता है, जिससे भक्त नकारात्मक ऊर्जाओं के प्रभाव से रक्षा प्राप्त कर सकते हैं। 2025 की सबसे बड़ी शनि अमावस्या पर श्री मंदिर के माध्यम से इस महान पूजा में भाग लें और माँ बगलामुखी, माँ प्रत्यंगिरा और भगवान शनि का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।