🚩क्या है साल 2024 की आखिरी शनि पूर्णिमा का महत्व ?🛕
😲क्यों किया जा रहा है 7 ब्राह्मणों द्वारा ये महानुष्ठान ?🚩
ज्योतिषियों के अनुसार, साल 2024 को शनि का साल माना गया है, जो अब समाप्त होने को है। शनिवार के दिन पडने वाली पूर्णिमा को शनि पूर्णिमा कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की अराधना करना अत्यंत प्रभावशाली होता है। इसलिए साल की इस आखिरी शनि पूर्णिमा पर शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए 7 ब्राह्मणों द्वारा महानुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों का विशेष महत्व बताया गया है। ये ग्रह विभिन्न भावों में स्थित होकर अपनी दशा के अनुसार शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं। इन नौ ग्रहों में शनि और चंद्र का भी अपना अलग महत्व है। ज्योतिषियों की मानें तो चंद्रमा मन और भावनाओं को नियंत्रित करता है तो वहीं शनि मनुष्य के कर्मों को नियंत्रित करता है। इसी कारणवश शनि और चंद्रमा को विशेष महत्व दिया जाता है। जब शनि और चंद्रमा किसी जातक की कुंडली के किसी एक भाव में स्थित हो तो एक युति का निर्माण करते हैं, जिसे विष योग कहा जाता है। यह योग बेहद कष्टकारी माना जाता है, क्योंकि इन ग्रहों की स्थिति से मन और कर्म दोनों प्रभावित होते हैं।
इसके अतिरिक्त, इस योग से पीड़ित जातक को मानसिक तनाव, रिश्तों में परेशानी एवं आर्थिक समस्याओं के साथ-साथ नकारात्मकता का सामना करना पड़ता है। कहते हैं कि इस योग से पीड़ित जातक के जीवन में इतनी कठिनाइयां आने लगती है कि वह बिना सोचे-समझे कई बुरे कदम उठाने लगता है। इस योग से राहत पाने के लिए शनि के मूल मंत्र और चंद्रमा के मूल मंत्र के जाप के साथ हवन करना चाहिए। मान्यता है कि दोनों ग्रहों को समर्पित मूल मंत्रो का जाप करने से विष योग से राहत मिलती है और जीवन में कठिनाइयों को दूर करने और मानसिक स्पष्टता का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इसलिए साल 2024 की आखिरी शनि पूर्णिमा पर उज्जैन में स्थित श्री नवग्रह शनि मंदिर में 19,000 शनि मूल मंत्र जाप, 10,000 चंद्र मूल मंत्र जाप और हवन का आयोजन किया जा रहा है। यह विशेष अनुष्ठान 7 ब्राहम्णों द्वारा पूरे विधि विधान के साथ संपन्न किया जाएगा। इस अनुष्ठान के माध्यम से शनि देव और चंद्र देव दोनों का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। श्री मंदिर के माध्यम से इसमें भाग लें और जीवन में कठिनाइयों को दूर करने और मानसिक स्पष्टता का आशीष प्राप्त करें।