नकारात्मकता और दुर्भाग्य से सुरक्षा के लिए महाकुंभ एकादशी क्षीर सागर विशेष 11,000 शेषनाग गायत्री मंत्र, श्री वासुदेवाय स्तोत्रम् एवं पुरुष सूक्त हवन
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नकारात्मकता और दुर्भाग्य से सुरक्षा के लिए महाकुंभ एकादशी क्षीर सागर विशेष 11,000 शेषनाग गायत्री मंत्र, श्री वासुदेवाय स्तोत्रम् एवं पुरुष सूक्त हवन
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महाकुंभ एकादशी क्षीर सागर विशेष

11,000 शेषनाग गायत्री मंत्र, श्री वासुदेवाय स्तोत्रम् एवं पुरुष सूक्त हवन

नकारात्मकता और दुर्भाग्य से सुरक्षा के लिए
temple venue
त्रिवेणी संगम, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
pooja date
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srimandir devotees
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विशेष मंत्र द्वारा कृपा मिलेगी
भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष मंत्र शेयर किया जाएगा
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तीर्थ प्रसाद घर भेजा जाएगा
पूजा के बाद तीर्थ प्रसाद को आपके घर पर पहुँचाया जाएगा

नकारात्मकता और दुर्भाग्य से सुरक्षा के लिए महाकुंभ एकादशी क्षीर सागर विशेष 11,000 शेषनाग गायत्री मंत्र, श्री वासुदेवाय स्तोत्रम् एवं पुरुष सूक्त हवन

हिंदू परंपरा में महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में एक बार प्रयागराज में होता है, जिसे सबसे बड़ा और सबसे शुभ आध्यात्मिक आयोजन माना जाता है। यह आयोजन गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम स्थल पर किया जाता है, जो अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। दरअसल महाकुंभ का महत्व समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है, जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था। एक पौराणिक कथानुसार जब महान ऋषि दुर्वासा के श्राप से तीनों लोकों की समृद्धि लुप्त हो गई थी और देवी लक्ष्मी के आठ रूप क्षीर सागर की गहराई में समा गए थे। तब इन्हें वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने देवों और असुरों को समुद्र मंथन करने के लिए राजी किया। मान्यता है कि भगवान विष्णु, अपनी पत्नी मां लक्ष्मी और अपने (आसन) परम भक्त शेषनाग के साथ क्षीर सागर में ही निवास करते हैं। वहीं इस बार महाकुंभ के दौरान माघ शुक्ल की एकादशी जिसे जया एकादशी भी कहते हैं, का विशेष संयोग बन रहा है, जोकि भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ संयोग में किए गए अनुष्ठान अत्यंत फलदायी होते हैं। इसलिए इस दिन भक्त विभिन्न अनुष्ठान करते हैं, जिनमें श्री वासुदेवाय स्तोत्रम् और पुरुष सूक्त हवन प्रमुख रूप से शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, मान्यता है कि इस खास संयोग में शेषनाग को समर्पित 11,000 शेषनाग गायत्री मंत्र का अनुष्ठान किया जाए तो यह दुगना प्रभावी हो जाता है, जिससे भक्तों को भगवान विष्णु और शेषनाग से नकारात्मकता और दुर्भाग्य से सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

भगवान विष्णु और शेषनाग के बीच संबंध के संदर्भ में पुराणों में कई कहानियाँ हैं। एक कथा के अनुसार, द्वापर युग में भगवान कृष्ण के अवतार के समय शेषनाग जी ने बलराम जी का रूप लिया था। जब वसुदेव जी भगवान कृष्ण को नंद जी के घर ले जा रहे थे, तब शेषनाग जी ने उनकी छतरी का कार्य किया और बारिश से भगवान कृष्ण को बचाया। शेषनाग को नागों में सबसे शक्तिशाली और क्रोधी माना जाता है, और उनका क्रोधी स्वभाव इतना प्रबल था कि उनकी माता भी उनसे भयभीत रहती थीं। यही कारण है कि शेषनाग जी का क्रोधी स्वभाव बलराम के अवतार में भी था। ऐसे में यह मान्यता है कि शेषनाग गायत्री मंत्र का जाप नकारात्मकता को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। 'ओम' की मौलिक ध्वनि से प्रारंभ होने वाला गायत्री मंत्र विशेष रूप से शक्तिशाली माना जाता है, और इससे भक्तों को किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से बचने में मदद मिलती है। वहीं यदि यह अनुष्ठान महाकुंभ के दौरान पड़ने वाली जया एकादशी के दिन किया जाए, तो यह भक्तों के लिए और भी अधिक फलदायी होता है। इसीलिए महाकुंभ नगरी में महाकुंभ एकादशी क्षीर सागर विशेष के अंतर्गत पवित्र त्रिवेणी संगम पर 11,000 शेषनाग गायत्री मंत्र, श्री वासुदेवाय स्तोत्रम् एवं पुरुष सूक्त हवन का आयोजन किया जा रहा है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और नकारात्मकता और दुर्भाग्य से सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करें।

त्रिवेणी संगम, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

त्रिवेणी संगम, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, देवासुर संग्राम के बाद समुद्र मंथन के दौरान, भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। देवता और दानव दोनों अमरत्व पाने के लिए अमृत को प्राप्त करने के लिए उत्सुक थे। इस प्रयास में अमृत की कुछ बूंदें कलश से गिरकर पृथ्वी के चार पवित्र स्थलों – प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक पर गिरीं। हर 12 साल में इन्हीं स्थानों पर भव्य कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। माना जाता है कि महाकुंभ उत्सव के दौरान इन चार कुंभ क्षेत्रों में पूजा करने से भक्तों को समृद्धि और आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद मिलता है। इन चार कुंभ स्थलों में प्रयागराज का विशेष महत्व है क्योंकि यह त्रिवेणी संगम, अर्थात गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम का स्थल है। मान्यता है कि इस पवित्र संगम में स्नान करने से पापों से मुक्ति और मोक्ष (जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति) प्राप्ति की जाती है।

यही आध्यात्मिक महत्व है जिसके कारण हर 12 वर्षों में लाखों श्रद्धालु प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान एकत्र होते हैं और पवित्र स्नान के माध्यम से मोक्ष की कामना करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के आरंभ में भगवान ब्रह्मा ने प्रयागराज में एक यज्ञ किया था। इस पवित्र कार्य ने इस स्थल को धर्म, तपस्या और साधना के केंद्र के रूप में स्थापित किया, जिससे इसे "तीर्थराज" या तीर्थों के राजा की उपाधि मिली। समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई माँ लक्ष्मी और उसमें भाग लेने वाले भगवान विष्णु की पूजा महाकुंभ के दौरान अत्यधिक शुभ मानी जाती है। माना जाता है कि पवित्र त्रिवेणी संगम पर उनकी पूजा करने से अपार धन और समृद्धि मिलती है। विशेष रूप से एकादशी के दिन उनकी पूजा करने से इन आशीर्वादों में वृद्धि होती है।

సమీక్షలు & రేటింగ్స్

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Ramesh Chandra Bhatt

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Aperna Mal

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Shivraj Dobhi

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Mukul Raj

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Reviews from our devotees who booked Puja with us
Harnisha Soma

Harnisha Soma

10 March, 2025

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Thanks for a great pooja 🙏


iltu Singha

iltu Singha

09 March, 2025

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good service, thanks Sri mundir ❤️❤️


RENUKA VIPAT ODAK

RENUKA VIPAT ODAK

09 March, 2025

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It's wonderful service, may God bless the founder and operator of the App.,💐💐

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