👉माघ पूर्णिमा पर त्रिदेव संग पाएं त्रिदेवियों का आशीष 🙏
सनातन धर्म में हर 12 साल में मनाए जाने वाले महाकुंभ उत्सव को बहुत महत्व दिया जाता है। हिंदू धर्म में प्रयागराज को "तीर्थों का राजा" कहा जाता है क्योंकि यह गंगा, यमुना और रहस्यमयी सरस्वती नदियों का संगम है, जो अपार आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक हैं। शाही स्नान कुंभ मेले का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस साल महाकुंभ में कुल छह शाही स्नान होंगे, जिसमें पांचवां शाही स्नान 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के शुभ दिन होगा। शास्त्रों के अनुसार, यह दिन धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिव्य अवसर पर प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर गंगा, यमुना, सरस्वती त्रिवेणी संगम महाआरती, दूध अभिषेक और त्रिदेव महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा।
त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश- सृजन, संरक्षण और विनाश को नियंत्रित करते हैं, जबकि त्रिदेवियाँ- गंगा, यमुना और सरस्वती- त्याग, भक्ति और ज्ञान का प्रतीक हैं। उनकी संयुक्त पूजा आध्यात्मिक, भौतिक और ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं का एक शक्तिशाली संगम है, जो संतुलन, समृद्धि और समग्र कल्याण को बढ़ावा देती है। यह पवित्र मिलन ब्रह्मांड की शक्तियों में सामंजस्य स्थापित करता है, जिससे शरीर, मन और आत्मा को दिव्य कृपा मिलती है। इस पवित्र अनुष्ठान के दौरान, गंगा, यमुना और सरस्वती को जल, फल, फूल और दीप अर्पित करके सम्मानित किया जाता है। इसके बाद त्रिदेव महायज्ञ का आयोजन करने से वातावरण शुद्ध और ऊर्जावान होता है। यह यज्ञ जीवन के तीनों पहलुओं - शरीर, मन और आत्मा में समृद्धि लाने का एक साधन है। ऐसा माना जाता है कि प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर माघी पूर्णिमा शाही स्नान पर यह त्रिदेव और त्रिदेवी पूजा करने से भक्तों को सुरक्षा और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस जीवन में एक बार मिलने वाले अवसर में भाग लें।