🌌 जानें आखिर क्या है श्रापित दोष और इसके प्रभाव? 🌟
ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों का अपना विशेष महत्व है। हमारी कुंडली में भी अलग-अलग ग्रहों के अलग-अलग प्रभाव है। जैसे जब कुंडली में कोई ग्रह मजबूत होता है, तो वह जातक को शुभ फल प्रदान करता है, लेकिन कमजोर ग्रह अशुभ प्रभाव डालता है। कुछ ग्रह ऐसे भी होते हैं, जो अन्य ग्रहों के साथ मिलकर शुभ और अशुभ दोनों तरह के परिणाम देते हैं। राहु और शनि ग्रह का स्वभाव भी ऐसा ही है। शास्त्रों के अनुसार, इन दोनों ग्रहों की युति से बने विशेष योगों में से एक है श्रापित योग, जिसे ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत कष्टकारी माना गया है। जिन लोगों की कुंडली में यह दोष होता है, उन्हें जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। राहु ग्रह बुद्धि को भ्रमित कर कार्यों में विलंब उत्पन्न करता है, जबकि शनि ग्रह का नकारात्मक प्रभाव जीवन में बाधाएं और अस्थिरता लाता है। राहु-शनि की युति से बने इस श्रापित योग के कारण जातक के करियर, व्यवसाय और व्यक्तिगत जीवन में भी अस्थिरता बनी रहती है।
ऐसा माना जाता है कि यह दोष पिछले जन्म के बुरे कर्मों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है और यदि इसका समाधान न किया जाए तो यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है। श्रापित योग के नकारात्मक प्रभावों से छुटकारा पाने के लिए शनिदेव को समर्पित शनिवार के दिन और राहु द्वारा शासित आद्रा नक्षत्र के शुभ संयोग में राहु-शनि श्रापित दोष शांति हवन और तिल तेल अभिषेक करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। इस विशेष अनुष्ठान के माध्यम से न केवल राहु-शनि की युति से उत्पन्न श्रापित योग के नकारात्मक प्रभावों को शांत किया जा सकता है, बल्कि जीवन में आ रही रुकावटों को भी दूर किया जा सकता है। इसीलिए श्री मंदिर द्वारा उत्तराखंड के पौड़ी जिले स्थित राहु पैठाणी मंदिर में इस विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। आप भी इस अनुष्ठान में भाग लेकर शनि और राहु की युति से उत्पन्न दोष के दुष्प्रभाव से मुक्ति पाएं और बाधामुक्त जीवन का अनुभव करें।