👉महाकुंभ शाही स्नान एवं माघ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पाएं देवी सरस्वती के साथ मां दुर्गा व लक्ष्मी जी का आशीष 🙏
सनातन धर्म में महाकुंभ पर्व का विशेष महत्व है, जो हर 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित होता है। वहीं, हिंदू धर्म में प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है, क्योंकि यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। शाही स्नान कुंभ मेले का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस बार महाकुंभ में कुल 6 शाही स्नान होंगे, जिसमें चौथा शाही स्नान के शुभ अवसर पर होगा, जो कि 3 फरवरी को होने वाला है।
शास्त्रों के अनुसार, यह दिन धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अत्यंत शुभ समय माना गया है। इसलिए इस शुभ समय में 11,000 दुर्गा बीज मंत्र जाप, अष्ट लक्ष्मी यज्ञ एवं सरस्वती वंदना करना अत्यंत प्रभावशाली हो सकता है। शास्त्रों के अनुसार, यह त्रिदेवी पूजा मां दुर्गा, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती की आराधना यानी शक्ति, समृद्धि और विद्या का अद्भुत संगम है। मान्यता है कि इस शुभ दिन में इस पूजन का आयोजन शरीर, मन और आत्मा की पवित्रता और संतुलन को पुनर्स्थापित करने में मदद करता है।
पुराणों में वर्णित है कि दुर्गा बीज मंत्र का जाप न केवल जीवन के सभी संकट दूर होते हैं, बल्कि यह शक्ति और आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है। जबकि अष्ट लक्ष्मी यज्ञ से आर्थिक समृद्धि, भौतिक सुख और जीवन में स्थायित्व का आशीर्वाद मिलता है। वहीं सरस्वती वंदना से ज्ञान, रचनात्मकता और आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है। त्रिदेवी पूजन का यह विशेष आयोजन जीवन के तीन मुख्य पहलुओं शारीरिक, भौतिक और आध्यात्मिकता पर पूर्ण संतुलन स्थापित करता है। मां लक्ष्मी का आशीर्वाद धन व वैभव को सुनिश्चित करता है, जिससे जीवन में आर्थिक स्थिरता और उन्नति आती है। जबकि मां दुर्गा से प्राप्त साहस और शक्ति का आशीष मिलता है जो जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने में मदद करती है। वहीं मां सरस्वती का आशीर्वाद मानसिक स्पष्टता, रचनात्मकता और आत्मिक ज्ञान को प्रज्वलित करता है। इसलिए महाकुंभ शाही स्नान एवं माघ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर इस पूजा में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें और शारीरिक, भौतिक और आध्यात्मिक कल्याण के साथ प्रचुरता का आशीष पाएं।
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