हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। 'नव' का अर्थ है 'नौ' और 'रात्रि' का अर्थ है 'रात', अर्थात् नौ रातों तक चलने वाला यह पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि का चौथा, पांचवा और छठवां दिन मां लक्ष्मी की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। इसी कारणवश भक्त नवरात्रि के दौरान मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के दिव्य अनुष्ठान करना शुरु कर देते हैं। हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में पूजा जाता है। माना जाता है कि जिन लोगों पर मां लक्ष्मी की कृपा होती है, उन्हें आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। धार्मिक ग्रंथों में, मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए महालक्ष्मी मंत्र जाप को अत्यंत लाभकारी माना गया है। कहा जाता है कि महालक्ष्मी मंत्र का जाप करने से मां लक्ष्मी अपने भक्तों को अपार धन-संपदा का आशीर्वाद देती है और उन्हें सभी प्रकार की आर्थिक बाधाओं से सुरक्षा भी प्रदान करती है।
वहीं देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूपों में से एक है वैभव लक्ष्मी। लक्ष्मी जी के इस स्वरूप वैभव देने वाला माना गया है। मान्यता है कि मां के इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करने से दरिद्रता से राहत मिलती है और घर में वैभव का आगमन होता है। ऐसे में नवरात्रि के दौरान 11,000 महालक्ष्मी मंत्र जाप, वैभव लक्ष्मी पूजा एवं हवन करना अत्यंत फलदायी हो सकता है। मान्यताओं के अनुसार, यदि यह पूजा किसी शक्तिपीठ में की जाए तो कई गुना फल की प्राप्ति हो सकती है। इसलिए नवरात्रि के चौथे दिन के शुभ अवसर पर शक्तिपीठ मां महालक्ष्मी अंबाबाई मंदिर में 11,000 महालक्ष्मी मंत्र जाप, वैभव लक्ष्मी पूजा एवं हवन का आयोजन किया जा रहा है। यह मंदिर पवित्र 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर में केवल भक्त ही नहीं बल्कि सूर्य देव भी साल में तीन बार माँ महालक्ष्मी को श्रद्धांजलि देते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त पूजा करते हैं, उन्हें जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। ऐसे में आप भी श्री मंदिर के माध्यम से 11,000 महालक्ष्मी मंत्र जाप, वैभव लक्ष्मी पूजा एवं हवन में भाग लें और मां लक्ष्मी से धन और यश का आशीर्वाद प्राप्त करें।