देवी षोडशी, दस महाविद्याओं में तीसरी महाविद्या हैं। इन्हें महात्रिपुर सुन्दरी, ललिता, बालापञ्चदशी एवं राजराजेश्वरी भी कहा जाता है। अपने नाम के अनुरूप देवी षोडशी तीनों लोकों में सबसे सुन्दर हैं, वहीं सोलह वर्ष की आयु में उनके रूप को षोडशी कहा जाता है। साधक उन्हें तान्त्रिक पार्वती के रूप में पूजते हैं। देवी षोडशी महाविद्या को श्री यन्त्र के रूप में भी पूजा जाता है। मान्यता है कि देवी षोडशी की साधना के फलस्वरूप साधक को सभी प्रकार की संपत्ति, समृद्धि और जीवन में पारिवारिक सद्भाव प्राप्त होती है। शास्त्रों में शुक्रवार का दिन देवी पूजा के लिए विशेष माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस शुभ दिन में देवी षोडशी का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए षोडश श्री चक्र पूजन, ललिता सहस्रनाम एवं त्रिपुर सुंदरी हवन का पाठ करना अत्यंत लाभदायक माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, सबसे पहले ललिता सहस्त्रनाम स्त्रोत माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने अपने पिता भगवान शिव से सुना था। कई ऋषियों ने इस स्तोत्र का जाप करके देवी को प्रसन्न किया और सिद्धियाँ प्राप्त की हैं। इसलिए यह माना जाता है कि कलियुग में जो कोई भी देवी के हजार नामों से पूजा करेगा, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी। वहीं अगर यह पूजा प्रयागराज में स्थित शक्तिपीठ ललिता माता मंदिर में कि जाए तो यह अत्यंत प्रभावशाली होगी क्योंकि यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। माना जाता है कि यहाँ माता सती की उंगली गिरी थी। मान्यता है कि यहां देवी के दर्शन करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यही नहीं मां के दरबार में किया गया अनुष्ठान कभी व्यर्थ नहीं जाता। कहते हैं कि जो भी भक्त शुक्रवार के दिन इस शक्तिपीठ में यह विशेष पूजा कराता है, उसकी सभी इच्छाएं देवी की कृपा से पूरी होंगी। यदि आप भी अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए देवी षोडशी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो श्री मंदिर के माध्यम से शुक्रवार को शक्तिपीठ ललिता माता मंदिर में आयोजित होने वाले षोडश श्री चक्र पूजन, ललिता सहस्रनाम एवं त्रिपुर सुंदरी हवन में भाग लें और माता का दिव्य आशीष प्राप्त करें।