हिंदु धर्म में सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित है। इसके पीछे पौराणिक कथा है, जिसमें बताया गया है कि सोमवार के दिन ही चंद्र देव ने महादेव की आराधना की थी और महादेव ने प्रसन्न होकर चंद्र देव को क्षय रोग से मुक्त कर दिया था, तब से ही सोमवार के दिन को भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ माना गया है। शास्त्रों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र को सबसे लाभकारी बताया गया है। महामृत्युंजय मंत्र वही मंत्र का जिसका चंद्र देव ने जाप करके भगवान शिव से निरोगी काया का आशीर्वाद प्राप्त किया था। इसी कारणवश माना जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भगवान शिव द्वारा बेहतर स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं, यह भी मान्यता है कि महामृत्युंजय मंत्र जाप के साथ आरोग्य मूर्ति धन्वंतरि देव को समर्पित हवन किया जाए तो यह अनुष्ठान कई गुना अधिक फलदायी हो सकता है। सनातन धर्म में देव धन्वतंरि को भगवान विष्णु का अंश अवतार एवं आरोग्यता प्रदान करने वाला देव माना गया है। इसी कारणवश माना जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र जाप एवं आरोग्य मूर्ति धन्वंतरि शक्ति हवन करने से बेहतर स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं अनहोनी से बचाव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इसलिए श्री मंदिर द्वारा सोमवार के दिन श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में 11,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप एवं आरोग्य मूर्ति धन्वंतरि शक्ति हवन का आयोजन कराया जा रहा है। धार्मिक ग्रंथों में मिलने वाली पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन से प्रकट होने के बाद जब धन्वंतरि ने विष्णु जी से अपना पद मांगा तो विष्णु जी ने कहा कि तुम्हें आने में थोड़ा विलंब हो गया। तुम द्वितीय द्वापर युग में पृथ्वी पर राजकुल में जन्म लोगे और तीनों लोक में तुम प्रसिद्ध और पूजित होगे। इसलिए द्वितीय द्वापर युग में काशी में संस्थापक भगवान शिव की नगरी में काशी नरेश राजा काश के पुत्र धन्व की संतान के रूप में भगवान धन्वंतरि ने जन्म लिया। जिसके बाद भारद्वाज से उन्होंने आयुर्वेद को पुनः ग्रहण करके उसे आठ अंगों में बांटा। भगवान धन्वंतरि को समस्त रोगों के चिकित्सा की पद्धति ज्ञात थी। इसलिए नए वर्ष में बेहतर स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं अनहोनी से बचाव के लिए इस विशेष अनुष्ठान का आयोजन हो रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इसमें भाग लें और भगवान शिव एवं धन्वंतरि देव का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।