🙏पहली बार महाकुंभ नगरी में सोमवार के दिन पाएं भगवान शिव का आशीष✨
हिंदू परंपरा में सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ प्रयागराज में हर 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है। प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है क्योंकि यह गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है, जो अपार आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। इसके अलावा पुराणों के अनुसार, प्रयाग समस्त तीर्थो में सर्वोत्तम व सर्वश्रेष्ठ माना गया है। देवताओं की यज्ञभूमि होने के कारण भी उसे प्रयाग, नाम से अभिहित किया गया। स्वयं भगवान विष्णु और त्रिलोकपति शंकर ने इसका नाम प्रयाग रखा। जब बृहस्पति वृषभ राशि में होता है और सूर्य मकर राशि में होता है, तो प्रयागराज में महाकुंभ मेला आयोजित किया जाता है। 2025 में यह संयोग होने वाला है जिस अवसर पर महाकुंभ मेला आयोजित किया जाएगा। मान्यता है कि अगर महाकुंभ के दौरान सोमवार को भगवान शिव की पूजा किया जाए तो यह अत्यंत शुभ होगा क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है।
सनातन धर्म में भगवान शिव को "देवों के देव महादेव" के रूप में पूजा जाता है और सोमवार को उनकी पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ दिन माना जाता है। पुराणों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न अनुष्ठानों का वर्णन किया गया है, जिनमें से रुद्राभिषेक अत्यधिक पूजनीय है। इस अनुष्ठान में पवित्र मंत्रों का जाप करते हुए शिवलिंग को उसके रुद्र रूप में स्नान कराना शामिल है। रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार, रुद्र के रूप में भगवान शिव मानव के पीड़ा को कम करते हैं। इसलिए, भक्त उनका आशीर्वाद पाने और कठिनाइयों से राहत पाने के लिए रुद्राभिषेक करते हैं। जब इसे रुद्र हवन के साथ जोड़ा जाता है, तो यह पूजा और भी शक्तिशाली हो जाती है। इसलिए महाकुंभ में सोमवार के दिन प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर शिव रुद्राभिषेक और रुद्र हवन का आयोजन किया जाएगा। मान्यता है कि इस पूजा को करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उन्हें आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है। श्री मंदिर के माध्यम से इस जीवन में एक बार मिलने वाले अवसर में भाग लें और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें।