🌟 आखिर क्यों अक्षय तृतीया को माना जाता है आध्यात्मिक उन्नति और समृद्धि के लिए सबसे शक्तिशाली दिन?
अक्षय तृतीया हिंदू पंचांग के सबसे शुभ दिनों में से एक है। शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ हुआ था। "अक्षय" का अर्थ है—जो कभी समाप्त न हो। अर्थात् इस दिन कोई भी कार्य बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है। इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का फल कभी क्षय नहीं होता, वह जीवनभर और आगामी जन्मों तक शुभ फल प्रदान करता है। इसलिए यह दिन आध्यात्मिक उन्नति और सौभाग्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। अक्षय तृतीया से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा है। पांडवों के वनवास के समय द्रौपदी के पास ऋषियों को भोजन कराने के लिए कुछ भी नहीं था। तब उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना की। श्रीकृष्ण ने उनके पात्र में बचा एक चावल का दाना खाया, जिससे पूरे ब्रह्मांड की भूख शांत हो गई। द्रौपदी की भक्ति से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने उन्हें एक अक्षय पात्र प्रदान किया। एक ऐसा दिव्य पात्र जो तब तक खाली नहीं होता था। जब तक द्रौपदी स्वयं भोजन न कर लें। यह चमत्कार अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था, और तभी से यह दिन ईश्वरीय कृपा, आत्मबल और अक्षय समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
🌞 जाने क्यों अक्षय तृतीया के दिन की जाती है सूर्य देव की विशेष पूजा?
अक्षय तृतीया एक दुर्लभ ज्योतिषीय घटना से भी जुड़ी होती है। इस दिन सूर्य देव मेष राशि में उच्च स्थिति में होते हैं, जिसे उनकी सबसे शक्तिशाली स्थिति माना गया है। सूर्य देव जीवन शक्ति, बुद्धि, समृद्धि और सफलता के मूल स्रोत हैं। इस दिन उनकी आराधना से प्राप्त आशीर्वाद कई गुना फलदायी होता है, जिससे जीवन में निरंतर प्रगति और शुभता बनी रहती है। इसी कारण इस पावन अवसर पर सूर्य नारायण पूजा, आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ और 1008 तुलसी अर्चना का आयोजन किया जाएगा। सूर्य नारायण पूजा से अच्छे स्वास्थ्य, धन और आध्यात्मिक तेज की प्राप्ति होती है। आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ मन को स्पष्टता, साहस और सभी प्रकार की बाधाओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करता है। वहीं, भगवान विष्णु को समर्पित 1008 तुलसी अर्चना, पुण्य और दिव्य कृपा को और भी अधिक बढ़ा देती है।